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जीवा मर्डर: शूटर का बयान है झूठ का पुलिंदा, नहीं मिला किसी आतिफ का नेपाली कनेक्शन

गैंगस्टर संजीव जीवा महेश्वरी की हत्या करने वाले शूटर विजय यादव के बयान को पुलिस सच नहीं मान रही है. पुलिस को शक है कि शातिर दिमाग विजय यादव ने जानबूझकर नाम लेकर हत्याकांड की थ्योरी को उलझाने की कोशिश की है. इसके पीछे दो कारण हैं. आइए आपको विस्तार से बताते हैं-

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संजीव जीवा का मर्डर विजय यादव ने किया है
संजीव जीवा का मर्डर विजय यादव ने किया है

गैंगस्टर संजीव जीवा महेश्वरी की हत्या करने वाले शूटर विजय यादव का ट्रामा सेंटर में इलाज के दौरान पूछताछ के सामने आए वीडियो ने पुलिस की तफ्तीश को सुलझाने के बजाय उलझा कर रख दिया है. वीडियो में शूटर विजय यादव के द्वारा लिए गए नाम लखनऊ पुलिस के लिए अब मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं.

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हत्याकांड की जांच में जुटी पुलिस टीमें अब विजय यादव के इस बयान की ही सत्यता परखने में लग गई है. पुलिस को शक है कि शातिर दिमाग विजय यादव ने जानबूझकर नाम लेकर हत्याकांड की थ्योरी को उलझाने की कोशिश की है.

क्या है पूरा मामला

बीते बुधवार को लखनऊ कोर्ट के अंदर गैंगस्टर संजीव जीवा माहेश्वरी को मौत के घाट उतारने वाला शूटर विजय यादव का सोमवार को 35 सेकंड का वीडियो वायरल हुआ. वीडियो लखनऊ ट्रामा सेंटर का बताया गया. वीडियो में विजय यादव 2 नाम ले रहा आतिफ और अशरफ. आतिफ जो लखनऊ जेल में बंद है, जिसकी दाढ़ी नोच कर संजीव जीवा ने अपमानित किया था. इसी अपमान का बदला लेने के लिए आतिफ के भाई अशरफ ने विजय को नेपाल में 20 लाख रुपए की सुपारी दी.

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35 सेकंड का वीडियो वायरल हुआ तो आतिफ और अशरफ की दुश्मनी और संजीव माहेश्वरी की हत्या की वजह साफ होती नजर आई, लेकिन अब तक की जांच में विजय यादव का यह बयान उसको ही शक के दायरे में लाकर खड़ा करता है. विजय यादव के इस बयान पर पुलिस अधिकारी भरोसा नहीं कर रहे हैं. उनको शक है कि शातिर दिमाग विजय यादव ने प्लानिंग के तहत कोई कहानी तो नहीं बताई है.

हत्याकांड की जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि इस वीडियो में दिए विजय यादव के बयान पर बहुत भरोसा नहीं कर सकते, लखनऊ जेल में अब तक की पड़ताल में आतिफ नाम के चार लोग बंद होने की जानकारी मिली है, लेकिन सभी चार आतिफ के किसी भाई का नाम अशरफ या असलम नहीं है, साथ ही इनका कोई भाई नेपाल में नहीं रहता.

विजय यादव के बयान पर शक करने की दूसरी वजह शूटर संजीव जीवा माहेश्वरी की हाई सिक्योरिटी बैरक भी थी. संजीव जीवा माहेश्वरी के बाराबंकी से ट्रांसफर होने के बाद उसे लखनऊ जेल में हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था. जेल की हाई सिक्योरिटी हाते की भी उस बैरक में संजीव जीवा को रखा गया जो हाते के बिल्कुल किनारे होने में थी.

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किसी का कोई संपर्क भी नहीं रहता. संजीव जीवा खुद भी अकेले ही घूमता. उसकी बैरक के बगल में ही रसोई वाले हाते का चबूतरा है. संजीव जीवा खुद भी लोगों से बहुत नहीं मिलता क्योंकि उसे लखनऊ जेल में अपने विरोधी गैंगस्टर सुशील मूंछ और बदन सिंह बद्दो से जान का खतरा सता रहा था, इसलिए वह खुद भी किसी से ना तो बात करता और ना ही कोई पंगा लेता था.

पुलिस अफसरों का कहना है कि एक तरफ शूटर विजय यादव के बताएं नाम आतिफ, असरफ या असलम की पुष्टि का ना होना और दूसरे हाई सिक्योरिटी बैरक में रहने के चलते संजीव माहेश्वरी की किसी दूसरे कैदी से मुलाकात ना होना. यही वजह है कि शूटर विजय यादव के बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

लखनऊ पुलिस ने सोमवार को लखनऊ कोर्ट में शूटर विजय यादव की पुलिस कस्टडी रिमांड के लिए अर्जी डाली है, जिस पर बुधवार को सुनवाई होगी. पुलिस अब शूटर विजय यादव को पुलिस कस्टडी रिमांड लेने की तैयारी में है. माना जा रहा है कि मंगलवार को लखनऊ पुलिस की एक टीम लखनऊ जेल जाएगी और वहां पर आधिकारिक तौर पर आतिफ नामक कैदियों के ब्यौरे को नए सिरे से खंगालेगी.

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