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Ayodhya Ram Mandir: दादी मां 30 साल तक राम मंदिर के लिए रहीं मौन, आज रामलला के सामने खोला व्रत; तीन दशक बाद मुंह से निकले ये शब्द...

Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या के राम मंदिर में भगवान रामलला विराजमान हो गए हैं. पूरे देश में इसको लेकर उमंग का माहौल है और भक्त दर्शन करने पहुंच रहे हैं. पूरी अवधपुरी यानी अयोध्या राममय हो चुकी है. अब झारखंड की रहने वाली 85 वर्षीय सरस्वती देवी ने 30 साल बाद अपना मौन व्रत तोड़ दिया है.

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राम मंदिर में 85 साल सरस्वती देवी ने खोला मौन व्रत.
राम मंदिर में 85 साल सरस्वती देवी ने खोला मौन व्रत.

''सीताराम...सीताराम...सीताराम...सीताराम...सीताराम...सीताराम...सीताराम...सीताराम...रामलला को गोद में खिलाए मेरी कौशल्या मैया की जय हो...'' प्रभु राम से जुड़े यही शब्द दादी मां के मुख से 30 साल बाद निकले. 85 साल की सरस्वती देवी रामलला के मंदिर में विराजने तक कठिन मौन व्रत रखकर बैठी थीं और आज अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने पर वृद्ध मां ने व्रत खोल दिया. और उनके मुंह से सिर्फ राम नाम का जाप ही निकला, जैसा कि वह बीते 30 से अपने अंतर्मन में कर रही थीं. 

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झारखंड की रहने वाली बुजुर्ग सरस्वती देवी के बेटे हरिराम अग्रवाल (60) ने भावुक होते हुए बताया, मेरी मां ने आज 30 साल बाद मौन खोला है. बुजुर्ग मां ने तीन दशक बाद साल बाद मौन खोला तो उच्चारित किया सीताराम...सीताराम... 

अयोध्या के राम मंदिर पहुंचे हरिराम अग्रवाल ने बताया कि मां सरस्वती देवी अधिकतर तीर्थ स्थलों में ही रहती हैंऔर हमेशा मौन धारण किए रहती हैं. अगर परिवार के लोगों को कुछ कहना होता है तो लिखकर अपनी बात बताती हैं. 

6 दिसंबर 1992 विवादित ढांचा गिरने के बाद से सरस्वती देवी ने मौन धारण कर लिया था. प्रण लिया था कि जब तक राम मंदिर में विराजमान नहीं होते तब तक वह मौन ही रहेंगी. यानी करीब 30 साल से सरस्वती देवी मौन धारण किए थीं. 

उनका प्रण था कि रामलला मंदिर में विराजमान होंगे, उस दिन ही मां अपना प्रण तोड़ेंगी. मां ने अपनी बात लिखकर यह बताई है कि मौन व्रत के बाद पहला शब्द 'सीताराम-सीताराम' बोलेंगी. आखिरकार सरस्वती देवी ने यही किया. 

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बता दें कि अयोध्या स्थित राम मंदिर के गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडितों के मंत्रोच्चारण के बीच अनुष्ठान शुरू किया. दोपहर साढ़े बारह बजे (12 बजकर 29 मिनट) रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई. प्राण-प्रतिष्ठा के उपरांत स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज के हाथों से चरणामृत ग्रहण कर मोदी ने 11 दिनों का उपवास खोला.  

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