कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने पार्टी छोड़ दी है. कांग्रेस छोड़ने के बाद अब वह बीजेपी में शामिल हो गए हैं. पार्टी छोड़ने से पहले गौरव वल्लभ ने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि मेरे से यह नहीं होगा कि जब सनातन धर्म को गाली दी जाए और मैं चुप बैठ जाऊं. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने, उनके सहयोगियों ने सनातन धर्म पर सवाल उठाए, उनका जवाब क्यों नहीं दिया गया? गौरव वल्लभ के इस वक्तव्य और पार्टी छोड़ने पर जब ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छा कदम है और हम इसका स्वागत करते हैं.
वहीं, मुख्तार अंसारी की मौत पर किए गए सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा कि माफियाओं पर लगाम लगाना और उनका नामोनिशान मिटाना अलग-अलग चीजें हैं. इस तरह के अंत को उचित नहीं कहा जा सकता. अगर न्यायालय मुकदमा चला करके उनको दंडित करती और वह सजा भुगतते तो उचित रहता.
बकौल शंकराचार्य- माफियाओं पर लगाम लगाने का मतलब है कि उनपर दोष साबित हो और वे कोर्ट द्वारा सुनाई सजा को भोगे. जबकि उनका खत्म होना गैंगवार जैसा है. जिसमें एक गैंग दूसरे को खत्म कर देते हैं. हम चाहते हैं कि माफिया पर लगाम लगे और वह पकड़े जाएं. उनके ऊपर तेजी से ट्रायल हो और दोषी पाए जाने पर उनको सजा हो लेकिन बगैर सजा हुए उनका अंत इस तरह से हो जा रहा है.
इसके अलावा जब शंकराचार्य से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा जेल में गीता और महाभारत मंगाने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये एक अच्छा संदेश दिया गया है कि जब हमारे पास समय हो तो हमें सद्ग्रन्थों का पाठ करना चाहिए. उनकी इस मांग का अभिनंदन करते हैं. ऐसे ग्रंथों का अध्ययन करके केजरीवाल की आत्मा सात्विक बनेगी और अगर वह भ्रष्टाचार किए होंगे तो अब दूर रहेंगे. सद्ग्रन्थों का अध्ययन करने से ही व्यक्ति में भ्रष्टाचार के प्रति अरुचि उत्पन्न होती है.
राम मंदिर के मुद्दे को चुनाव में उठाए जाने के सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा है कि इस देश की जनता के मन के जो भी मुद्दे हैं वह सभी चुनाव में उठाए जाने चाहिए. आखिर में हमारी भावनाओं को आधार बनाकर ही राजनीतिक दल सत्ता में आते हैं. इसलिए राम जन्मभूमि का मामला लोगों के दिलों में है तो क्यों नहीं मुद्दा बना चाहिए?
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल याचिका जिसमें ज्ञानवापी के व्यासजी के तहखाना में पूजा को रोकने से इनकार कर दिया है, उस पर शंकराचार्य ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा वह तथ्यों के आधार पर कहा और अच्छा कहा. लेकिन अगर मैं वहां खड़ा होता तो मैं उनसे अनुरोध करता कि पहले भी वहां पूजा हो रही थी और अब फिर शुरू हो गई है जिसे ना रोककर आप उचित कर रहे हैं. लेकिन इतने दिन जिन्होंने हमारी पूजा को रोका और बाधित किया, उसके लिए भी दो शब्द बोलना चाहिए था और उनको भी दंडित किया जाना चाहिए था. कोर्ट अगर ऐसा करती है तभी समझ में आएगा कि न्याय हुआ है.