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सपा में शुरू हो गया समायोजन लेकिन असहज हैं शिवपाल समर्थक, क्या है वजह?

सपा ने शिवपाल यादव के करीबी माने जाने वाले नेताओं का फ्रंटल संगठनों में समायोजन शुरू कर दिया है. शिवपाल समर्थक कई नेताओं का कहना है कि सपा में अभी वो सहज नहीं हो पा रहे.

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शिवपाल यादव और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
शिवपाल यादव और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में समीकरण बदल रहे हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के अपने सहयोगी दलों के साथ मनमुटाव दूर करने की कोशिश में जुटी है. ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ भी गठबंधन की बातचीत चल रही है. वहीं, दूसरी तरफ विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) में भी चाचा-भतीजे की दूरियां कम होती नजर आ रही हैं.

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच अब रिश्ते सहज होने लगे हैं. सपा की ओर से एक के बाद एक नई टीम को लेकर किए जा रहे ऐलान और उसमें शिवपाल यादव के चहेतों को जगह दिया जाना दोनों के बीच सहज होते रिश्तों का संकेत माना जा रहा है. मैनपुरी उपचुनाव के पहले शिवपाल ने तो खुद को पूरी तरह सपा से जोड़ लिया था लेकिन पार्टी में उनके करीबियों को तवज्जो नहीं मिलने की चर्चा भी आम रही.

कहा तो यहां तक जाने लगा था कि शिवपाल के करीबी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. लेकिन अब लोकसभा चुनाव करीब हैं और सपा में तस्वीर बदलती नजर आ रही है. सपा जैसे-जैसे अलग-अलग फ्रंटल संगठनों के लिए नई टीम का ऐलान कर रही है, वैसे-वैसे शिवपाल कैंप के लोगों को भी जगह मिलनी शुरू हो गई है.

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शिवपाल के 20 करीबियों को कोर टीम में जगह

फिलहाल, सपा ने जिलेवार फ्रंटल संगठनों के पदाधिकारियों का ऐलान किया है. इसमें शिवपाल के 20 से अधिक करीबियों को प्रदेश की कोर टीम में जगह मिली है. शिवपाल के जिन करीबियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं, उनमें चंद्रसेन सागर, शशि राणा, शमशाद अहमद, विपिन चौधरी सरीखे नेताओं के नाम शामिल हैं. वीणा पटेल, शमी बोहरा सपा में अलग-अलग पदों पर थे.

हालांकि, शिवपाल के करीबियों को सपा में उस स्तर का पद नहीं मिला है जैसा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया में उनको मिला था. कभी सपा में भी महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके कई नेताओं को अभी भी अपने समायोजन का इंतजार है. ऐसे नेताओं की लिस्ट में गिरधारी लाल लोधी, शादाब फातिमा, लल्लन राय, जगबीर सिंह गुर्जर और दीपक मिश्रा जैसे नाम हैं. इनकी गिनती शिवपाल कैंप के बड़े नेताओं में होती है.

शादाब फातिमा की बात करें तो वो 2022 का विधानसभा चुनाव बसपा से लड़ी थीं. शादाब तकनीकी रूप से सपा में नहीं हैं. वहीं, दीपक मिश्रा ने तीन साल के लिए राजनीति से दूरी बनाने का ऐलान कर रखा है. हालांकि, दीपक समाजवादी चिंतक के रूप में सामाजिक तौर पर सक्रिय हैं. पीएसपी के कई बड़े नेता इस आस में बैठे हैं कि जब सपा की किसी प्रदेश कमेटी या बड़े विंग का ऐलान होगा तब उसमें उनका नाम हो सकता है.

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कई नेताओं ने पद लेने से किया इनकार

शिवपाल से जुड़े कई नेताओं का कहना है कि उनका समायोजन तो हो रहा है लेकिन पार्टी के भीतर वो अभी सहज नहीं हो पा रहे हैं. शिवपाल की पार्टी में बड़े पदों पर रह चुके कई नेताओं ने सपा संगठन में अपेक्षाकृत छोटे पद लेने से साफ इनकार कर दिया है. ऐसे नेता जिन्हें सपा की मुख्यधारा की राजनीति में लौटना था, उन्होंने पद स्वीकार किए हैं.

गौरतलब है कि सपा ने जनवरी महीने में राष्ट्रीय कार्यकारिणी का ऐलान किया था. तब शिवपाल यादव को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था. शिवपाल को सपा ने राष्ट्रीय कार्यसमिति में अहम जिम्मेदारी देकर उनका समायोजन तो कर दिया था लेकिन उनके लोगों को पार्टी में समायोजन का इंतजार था. अब सपा ने लोकसभा चुनाव से पहले उनके करीबियों को समायोजित करना भी शुरू कर दिया है.

 

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