अयोध्या में राम मंदिर के छत से बारिश का पानी टपकने का दावा मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने किया है. इसके बाद से एक बहस शुरू हो गई है. मुख्य पुजारी के छत से पानी टपकने के दावे के बाद मंदिर निर्माण समिति की ओर से कहा गया था कि अभी भी निर्माण कार्य चल रहा है, इसलिए दूसरी मंजिल का शिखर खुले आकाश के संपर्क में होने से कुछ रिसाव हो रहा है. निर्माण कार्य पूरा होने पर यह भी बंद हो जाएगा. अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट की ओर से बयान जारी कर इसकी वास्तविकता बताई गई है.
अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मुख्य पुजारी के दावे के बाबत एक विज्ञप्ति जारी कर मंदिर के छत से पानी टपकने की हकीकत बताई है. महसचिव ने बताया है कि पहले तल्ले और दूसरे तल्ले पर निर्माण कार्य अब भी जारी है. यही वजह है कि निर्माण के लिए जो पाइप आदि लगाए गए हैं. उनसे कुछ पानी का रिसाव हो रहा है, जो काम पूरा होते ही बंद हो जाएगा.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने विस्तार से अपने बयान में यह बताया है कि मंदिर में कहीं कोई पानी नहीं टपक रहा है और न ही गर्भगृह में किसी तरह का जल जमाव है. मंदिर की छत से पानी टपकने को लेकर ट्रस्ट की ओर से जो भी तथ्य बताए गए हैं उन्हें वह नीचे दिये गए बिंदुओं से समझा जा सकता हैं.
1. गर्भगृह में जहां पर रामलला विराजमान हैं, वहां एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में आया है.
2. गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है. इसे गूढ़मण्डप कहा जाता है. वहां दूसरे तल की छत का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद घुम्मट जुड़ेगा और मंडप की छत बंद हो जाएगी. इस मंडप का क्षेत्र 35 फीट व्यास का है. इसको अस्थायी रूप से पहले तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं. दूसरे तल पर पिलर का निर्माण हो रहा है.
3. रंग मंडप एवं गूढ़ मंडप के बीच दोनों तरफ( उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) ऊपरी तलों पर जाने की सीढ़ियां है, जिनकी छत भी दूसरे तल की छत के ऊपर जाकर ढंकेगी. वहां भी निर्माण कार्य चल रहा है.
4. सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्युट एवं जंक्शन बॉक्स का काम पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्युट को छत में छेद करके नीचे उतारा जाता है. इससे मंदिर के ग्राउंड फ्लोर के छत की लाइटिंग होती है. ये कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छुपा दी जाती है.
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चूंकि, पहले तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है. अतः सभी जंक्शन बॉक्स में पानी प्रवेश कर कंड्यूट के जरिए ग्राउंड फ्लोर पर गिरा. ऊपर देखने पर यह प्रतीत हो रहा था कि छत से पानी टपक रहा है. वास्तव में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था. यह सभी काम जल्द पूरे हो जाएंगे. पहले तल की फ्लोरिंग पूरी तरह से वाटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा.
5. मन्दिर एव परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था की गई है. इसका कार्य भी प्रगति पर है. अतः मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी. पूरे श्रीराम जन्मभूमि परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए व्यवस्थित किया गया है.
6. मन्दिर एवं परकोटा निर्माण कार्य तथा मन्दिर परिसर निर्माण भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों L&T तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की अनेक पीढ़ियों की परम्परा के वर्तमान उत्तराधिकारी श्री चन्द्रकान्त सोमपुराजी के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख में हो रहा है. अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है.
7. उत्तर भारत में (लोहे का उपयोग किए बिना ) केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य (उत्तर भारतीय नागर शैली में ) प्रथम बार हो रहा है. देश विदेश में केवल स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं. भगवान के विग्रह की स्थापना, दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव है.
8. प्राण प्रतिष्ठा बाद लगभग एक लाख से एक लाख पन्द्रह हजार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं. सुबह 6.30 बजे से रात 9.30 बजे तक दर्शन के लिए प्रवेश होता है. किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घण्टा दर्शन के लिए प्रवेश, पैदल चलकर दर्शन करना, बाहर निकल कर प्रसाद लेने में लगता है. मन्दिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है. मोबाइल का प्रयोग दर्शन में बाधक है. सुरक्षा के लिए घातक हो सकता है.