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सो गए स्टेशन मास्टर, नहीं मिला सिग्नल तो प्लेटफॉर्म पर खड़ी रही ट्रेन, आधे घंटे तक हॉर्न बजाता रहा ड्राइवर

यूपी के इटावा में स्टेशन मास्टर की लापरवाही से कोटा-पटना एक्सप्रेस आधे घंटे तक सिग्नल के इंतजार में स्टेशन पर खड़ी रही. दरअसल स्टेशन मास्टर को नींद आ गई थी जिस वजह से वो ड्यूटी के दौरान ही सो गए थे. उन्हें जगाने के लिए ट्रेन के ड्राइवर को बार-बार हॉर्न बजाना पड़ा. रेलवे ने इसे गंभीर लापरवाही माना है और स्टेशन मास्टर को नोटिस जारी किया है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश के इटावा में एक स्टेशन मास्टर को ड्यूटी के दौरान नींद आ गई जिस वजह से सिग्नल के इंतजार में ट्रेन आधे घंटे तक स्टेशन पर ही खड़ी रही. यह मामला 3 मई का है. इटावा के पास उदी मोर रोड स्टेशन पर पटना-कोटा एक्सप्रेस ट्रेन लगभग आधे घंटे तक सिग्नल मिलने का इंतजार करती रही लेकिन स्टेशन मास्टर के सोये रहने की वजह से ट्रेन खड़ी रही.

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यह रेलवे स्टेशन आगरा डिवीजन के तहत आता है. घटना को गंभीरता से लेते हुए स्टेशन मास्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. स्टेशन मास्टर की इस लापरवाही की वजह से कोई बड़ा हादसा हो सकता था.

आगरा रेलवे डिवीजन के पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने न्यूज एजेंसी को बताया, 'हमने स्टेशन मास्टर को आरोप पत्र जारी किया है और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है.' रेलवे अधिकारियों ने कहा कि उदी मोड़ रोड स्टेशन इटावा से पहले एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण स्टेशन है क्योंकि आगरा के साथ-साथ झांसी से भी प्रयागराज की ओर जाने वाली ट्रेनें इस स्टेशन से गुजरती हैं.

सूत्रों के मुताबिक, ट्रेन के लोको पायलट को स्टेशन मास्टर को जगाने और ट्रेन के परिचलान के लिए कई बार हॉर्न बजाना पड़ा. एक सूत्र ने कहा, 'स्टेशन मास्टर ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है और चूक के लिए माफी मांगी है. उन्होंने कहा कि वह स्टेशन पर अकेले थे क्योंकि उनके साथ ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी ट्रैक निरीक्षण के लिए गया था.'

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मंडल रेलवे प्रबंधक (डीआरएम) तेज प्रकाश अग्रवाल ने घटना को गंभीरता से लिया है क्योंकि उनका ध्यान ट्रेनों के टाइमिंग में सुधार लाने पर है. वह कर्मचारियों को समय की पाबंदी में सुधार करने के लिए जोर दे रहे हैं और प्रोत्साहित कर रहे हैं. यही वजह है कि उस मंडल में ट्रेनें 90 फीसदी तक समय पर चल रही हैं. अधिकारी के मुताबिक, 'स्टेशन मास्टर की ओर से काम में लापरवाही ने न केवल दूसरों की कड़ी मेहनत और समर्पण को बर्बाद कर दिया बल्कि ट्रेन संचालन के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर दिया.'


 

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