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साल 1979... जगह प्रयागराज (तब इलाहाबाद) का चकिया गांव. तांगा चलाने वाले फिरोज अहमद के घर अतीक अहमद (Atiq Ahmed) का जन्म हुआ. अतीक पढ़ाई में कुछ खास अच्छा नहीं था. जिसके चलते 10वीं कक्षा में वह फेल हो गया. लेकिन उसके दिमाग में बस एक ही जुनून था. वो था किसी भी तरह पैसा कमाने का. क्योंकि पिता की आमदनी अच्छी नहीं थी और बचपन से ही उसने आर्थिक तंगी देखी थी. पैसा कमाने के लिए उसने शॉर्टकट अपनाया. ऐसा शॉर्टकट जिसने उसकी पूरी जिंदगी ही बदल दी.
पैसा कमाने के लालच में वो गलत काम में पड़ गया. लोगों से रंगदारी वसूलने लगा. उस समय पुराने शहर में चांद बाबा का दौर था. पुलिस और नेता दोनों चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहते थे. लिहाजा, अतीक अहमद ने उस समय नेताओं और पुलिस से अच्छी सांठ-गांठ बना ली. जिसके चलते उसे पुलिस और नेताओं का साथ पूरा मिला. लेकिन आगे चलकर अतीक अहमद, चांद बाबा से ज्यादा खतरनाक हो गया.
जैसे-जैसे अतीक और उसके गुर्गों का नेटवर्क बढ़ा, वह पुलिस के लिए नासूर बनने लगा. अतीक को इस बात की भनक लग गई. उसने एक पुराने मामले में जमानत तुड़वाकर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. जेल जाते ही उसके खिलाफ रासुका लगा दिया गया. इससे लोगों में यह मेसेज गया कि अतीक बर्बाद हो गया है. लोगों में फिर अतीक के लिए सहानुभूति पैदा हो गई.
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फिर एक साल बाद अतीक जेल से बाहर आ गया. उसे समझ आ गया था कि अब बचने के लिए सियासत ही काम आ सकती है. इसलिए उसने 1989 में इलाहाबाद पश्चिम सीट से यूपी का विधानसभा चुनाव का पर्चा भर दिया. लेकिन उसके सामने था चांद बाबा. चांद बाबा और अतीक में कई बार गैंगवार हो चुका था.
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चांद बाबा की गैंगवॉर में मौत
अपराध जगत में अतीक का बढ़ता दबदबा चांद बाबा को अखरने लगा था. फिर सीधे काउंटिंग वाले दिन, जब अतीक अपने गुर्गों के साथ रोशनबाग में चाय की टपरी पर बैठा था, तो चांद बाबा अपनी गैंग के साथ वहां आ गया. दोनों के बीच भीषण गैंगवॉर हुई. जिसमें चांद बाबा की मौत हो गई. इससे पहले कि चांद बाबा की हत्या पर प्रशासन कुछ एक्शन लेता, चुनाव के नतीजे आ गए. अतीक अहमद चुनाव जीत चुका था और वह विधायक चुन लिया गया.
ऐसे हुआ चांद बाबा का दौर खत्म
कुछ ही महीनों में एक-एक करके चांद बाबा का पूरा गैंग खत्म हो गया. कुछ मारे गए तो कुछ भाग गए. इस तरह चांद बाबा का दौर खत्म हो गया और अतीक का दौर आ गया. इस हत्या में अतीक अहमद पर कोई मामला दर्ज नहीं हुआ और चांद बाबा की मौत के पीछे गैंग की मुठभेड़ को कारण बताया गया.
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आज है अतीक अहमद की 17 साल पुराने केस में पेशी
बता दें, बाहुबली अतीक अहमद की आज यानी मंगलवार को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी होनी है. दरअसल, अतीक 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण कांड में मुख्य आरोपी है. उमेश ने उस समय आरोप लगाया था कि 28 फरवरी 2006 के अतीक अहमद ने उसका अपहरण करवाया. उसके साथ मारपीट और जान से मारने की धमकी दी, क्योंकि वह राजू पाल हत्याकांड का एकमात्र गवाह था.
क्या था वो राजू पाल हत्याकांड जिसका गवाह था उमेश
25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस केस में अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ समेत 5 आरोपी नामजद थे. जबकि, चार अज्ञात को आरोपी बनाया था. इस केस में राजू पाल के रिश्तेदार उमेश पाल मुख्य गवाह था. 11 आरोपियों में से एक की मौत हो चुकी है. जबकि, 10 आरोपियों पर आरोप तय हुए हैं जिसमें अतीक अहमद, उसका भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, उसके गुर्गे आबिद प्रधान, आशिक उर्फ मल्ली, जावेद इसरार, एजाज़ अख्तर, दिनेश पासी और दो अन्य लोग शामिल हैं.