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'अब कहीं नहीं जाऊंगा, घर पर रहकर खेती करूंगा', अमेरिका से डिपोर्ट किए गए मुजफ्फरनगर के देवेंद्र की आपबीती

मुजफ्फरनगर के देवेंद्र भी उन्हीं सैकड़ों भारतीयों में से एक हैं, जो अवैध रूप से अमेरिका जाने की कोशिश में खतरनाक रास्तों से गुजरे. लेकिन इतनी दिक्कतों का सामना करने के बाद अब उन्हें डिपोर्ट होने का दर्द मिला.

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अमेरिका से डिपोर्ट किए गए मुजफ्फरनगर के देवेंद्र
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए मुजफ्फरनगर के देवेंद्र

यूपी के मुजफ्फरनगर के देवेंद्र भी उन्हीं सैकड़ों भारतीयों में से एक हैं, जो अवैध रूप से अमेरिका जाने की कोशिश में खतरनाक रास्तों से गुजरे. लेकिन इतनी दिक्कतों का सामना करने के बाद अब उन्हें डिपोर्ट होने का दर्द मिला. उन्होंने अमेरिका तक पहुंचने के लिए जो सफर तय किया, वह एक भयावह कहानी है.  

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अमेरिका में झेली यातनाओं को याद करते हुए देवेंद्र कहते हैं कि जब वे और उनके साथी अमेरिका की सीमा में घुसे, तो कुछ देर बाद ही अमेरिकी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSP) ने उन्हें पकड़ लिया. उन्हें हथकड़ियां लगाकर एक कैंप में भेज दिया गया. 20 दिन तक अमेरिकी कैंप में रखा गया. वहां का खाना-पीना बेहद खराब था और ठंड बहुत ज्यादा थी. बीते दिनों अचानक हमें हथकड़ियां पहनाकर एक फ्लाइट में बिठा दिया गया और सीधे भारत भेज दिया गया. 

देवेंद्र को अमेरिका से 2 फरवरी को निकाला गया और 5 फरवरी को अमृतसर लाया गया. देवेंद्र ने कहा- अब मैं कहीं नहीं जाऊंगा. यहीं रहकर खेती करूंगा. 40 लाख का कर्ज चुकाना मुश्किल होगा, लेकिन परिवार के साथ रहूंगा.

मुजफ्फरनगर के रहने वाले रक्षित और देवेंद्र ने अमेरिका पहुंचने के लिए करीब 40 लाख रुपये खर्च किए, अवैध मार्गों से यात्रा की, लेकिन अंत में उन्हें पकड़कर वापस भारत भेज दिया गया. बीते दिन अपने घर पहुंचे देवेंद्र बताते हैं- मैं 28/29 नवंबर को भारत से निकला था. सबसे पहले थाईलैंड पहुंचा, फिर वहां से वियतनाम गया. वियतनाम में कुछ दिन रुकने के बाद चीन पहुंचा. चीन में 17 दिनों तक रोका गया, जिसके बाद साल्वाडोर का वीजा लिया और वहां पहुंच गया. साल्वाडोर में दो दिन रुकने के बाद माफिया एजेंट्स ने पकड़ लिया.

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देवेंद्र ने आगे बताया कि साल्वाडोर में उन्हें एक एजेंट के घर पर रखा गया और फिर 10 लाख रुपये फिरौती के तौर पर मांगे गए. यह रकम हरियाणा में एक एजेंट को दी गई, जो भारत में इस अवैध नेटवर्क के लिए काम करता था. इसके बाद उन्हें ग्वाटेमाला ले जाया गया, जहां उन्हें फिर से 10 लाख रुपये देने पड़े.

बकौल देवेंद्र - यह पूरी प्रक्रिया वहां माफिया द्वारा नियंत्रित होती है. मेक्सिको, साल्वाडोर और ग्वाटेमाला के माफिया इस धंधे को चलाते हैं. ये लोग प्रवासियों को बंधक बनाकर पैसे ऐंठते हैं और आगे बढ़ने देते हैं.

देवेंद्र के मुताबिक, उन्हें और उनके साथियों को मेक्सिको सिटी और फिर तिजुआना ले जाया गया. तिजुआना अमेरिका-मेक्सिको सीमा के पास का शहर है, जहां से अमेरिका में घुसने के लिए अवैध तरीके अपनाए जाते हैं. माफिया द्वारा 15 फीट ऊंची अमेरिकी दीवार पर लोहे की सीढ़ी लगाई जाती है. प्रवासियों को एक-एक कर उस सीढ़ी से दीवार पार कराई जाती है. दूसरी तरफ एक और सीढ़ी होती है, जिससे वे नीचे उतरते हैं. बॉर्डर सिक्योरिटी पेट्रोल (BSP) या तो तुरंत पकड़ लेती है, या प्रवासियों को खुद हेल्पलाइन पर कॉल कर खुद को सरेंडर करना पड़ता है. 

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देवेंद्र की मानें तो उन्हें तीन दिन तक तिजुआना में रोककर 20 लाख रुपये और देने पड़े. कुल मिलाकर उन्होंने 40 लाख रुपये गंवा दिए. और अब भारत आकर उन्हें इन रुपयों को चुकाना है. क्योंकि, काफी पैसे उधार लिए थे. ये सोचकर देवेंद्र काफी परेशान हैं. 

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