समाजवादी पार्टी के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य वाराणसी दौरे पर पहुंचे हैं. इस दौरान उन्होंने मौलाना महमूद मदनी के बयान का समर्थन किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक जो ऐतिहासिक साक्ष्य आए हैं, सबसे पहले भगवान बुद्ध का बौद्ध धर्म आया. उसके बाद ईसाई धर्म फिर इस्लाम धर्म आया. इसके बाद ही तमाम धर्म और पंथ पैदा हुए.
दरअसल, जमीयत-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने इस्लाम को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा कि इस्लाम को बाहरी बताना गलत है. भारत जितना मोदी या भागवत का उतना ही मेरा है. मदनी ने कहा कि ये धरती खुदा के सबसे पहले पैगंबर अबुल बशर सैयदना आदम अलैहिस्सलाम की जमीन है, इसलिए इस्लाम को बाहरी कहना गलत है. उन्होंने कहा कि भारत ही इस्लाम की जन्मस्थली है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि आज भी मैं सभी जगहों पर खुद के लिए हिंदू धर्म ही लिखता हूं. जो जिस धर्म का है उस धर्म की अच्छाई और कमियों को इंगित कर सकता है.
वहीं, रामचरितमानस पढ़ने के सवाल पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि किसी चीज को पढ़ना बुरा नहीं है. लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियों को आग के हवाले करने के सवाल के जवाब में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि प्रतियां नहीं जलाई गईं थी. सिर्फ तख्तियां ही जलाई गईं थीं और उनको जलाने वाले हिंदू ही थे.
बता दें, रामचरितमानस का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले दिनों यूपी की राजधानी लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां जलाई गईं, जिसके बाद लगभग एक दर्जन लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज हुई. समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के ऊपर भी एफआईआर दर्ज की गई.
ऐशबाग निवासी सतनाम सिंह ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वालों के खिलाफ पीजीआई थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. प्रतियां जलाने में जो लोग शामिल थे सभी को एफआईआर में आरोपी बनाया गया. लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में ओबीसी सम्मेलन आयोजित किया गया था. इसमें कुछ लोगों ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाई थीं.
'पुस्तक को बैन कर देना चाहिए'
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. स्वामी प्रसाद मौर्य यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा था कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए.
मौर्य ने जताई थी आपत्ति
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. इस पूरे विवाद की शुरुआत बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के एक बयान से हुई थी.