रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव उनकी निजी प्रतिक्रिया बताई है. हालांकि, उन्होंने अखिलेश यादव के बयान पर सहमति जताई. वो शुक्रवार को करहल के एक इंटर कॉलेज में वार्षिक उत्सव कार्यक्रम में पहुंचे थे.
इस दौरान शिवपाल ने स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव के बयान पर प्रतिक्रिया दी. इसके बाद बीजेपी को निशाने पर लिया. कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की यह चाल है और वह अपने मकड़जाल में फंसाना चाह रही है. हम समाजवादी लोग हैं, हम इसमें पड़ना नहीं चाहते. तमाम मुद्दे हैं जिन पर बीजेपी बोलती नहीं है.
बता दें कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए.
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के बाद कई सपा नेता भी मानस की चौपाई पर सवाल उठा चुके हैं. बीते दिन ही सपा नेता मनीष जगन अग्रवाल ने मानस की चौपाई, 'ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी' का जिक्र करते हुए कहा, अगर तत्कालीन लेखक पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं थे तो इस चौपाई में ब्राह्मण, ठाकुर और बनिया क्यों नहीं जुड़ा है. चार वर्णों में सकल ताड़ना सिर्फ शूद्र की ही क्यों और नारी की ही क्यों.
जगन ने कहा कि वो बाल्मिकी रचित रामायण के पक्षधर हैं. अगर BJP सच में पिछड़ों को सम्मान देना चाहती है तो डॉ. लोहिया के नारे 'पिछड़े पावैं सौ में साठ' को चरितार्थ करे. सरकार 60 प्रतिशत पिछड़ा और 22 प्रतिशत दलित आरक्षण सुनिश्चित करे. इसके साथ ही निजी क्षेत्र में भी इतना ही आरक्षण सुनिश्चित करके पिछड़ों को उनका पूरा अधिकार दे.
इसके आगे जगन ने कहा कि बीजेपी छलावा बंद करे. साथ ही जायज बात और जायज मुद्दे को विवाद कहना बंद किया जाए. किसी भी बात पर तर्क-वितर्क होना चाहिए. विवादित कहकर किसी भी बात को सत्ता पक्ष के हितानुसार एजेंडा सेट करना बंद होना चाहिए.