रामचरितमानस को लेकर टिप्पणी से विवादों में आए समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें और बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी ने उनके बयान से किनारा कर लिया है तो वहीं दूसरी तरफ पुलिस भी एक्शन की तैयारी में है. हालांकि एक दिन पहले ही कहा था कि वे अपने बयान पर कायम हैं.
जानकारी के मुताबिक यूपी की राजधानी लखनऊ में स्वामी प्रसाद के खिलाफ केस दर्ज हुआ है. लखनऊ के हजरतगंज थाने में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ रामचरितमानस को लेकर टिप्पणी के लिए धार्मिक भावनाएं आहत करने का केस दर्ज हुआ है. ये केस बाजार खाला के निवासी शिवेंद्र मिश्रा की तहरीर पर दर्ज हुआ है.
पुलिस ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ केस दर्ज होने की पुष्टि की है. पुलिस के मुताबिक स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानी कि आईपीसी की धारा 295 ए, 298, 504 और 153 के तहत दर्ज किया गया है.
किस बयान के चलते चर्चा में स्वामी प्रसाद?
दरअसल, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने हाल ही में रामचरित मानस को लेकर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ था. तो वहीं समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी आजतक के साथ बातचीत में कहा कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है.
स्वामी प्रसाद मौर्य यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.
बयान का विरोध जारी
वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से रामचरितमानस को लेकर की गई विवादित टिप्पणी पर विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसी कड़ी में सनातन रक्षक सेना ने वाराणसी में दशाश्वमेध घाट पर सपा नेता के खिलाफ जमकर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन किया. दर्जनों की संख्या में हिंदू सनातन रक्षक सेना संगठन के कार्यकर्ताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्या के विरोध में नारेबाजी की और कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या पर कार्यवाई की जानी चाहिए.
जिन धाराओं पर दर्ज हुआ मामला, उसमें कितनी सजा?
पुलिस के मुताबिक स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 ए, 298, 504 और 153 के तहत दर्ज किया गया है. ऐसे में इन सभी धाराओं के चलते स्वामी प्रसाद मौर्य पर क्या क्या एक्शन हो सकते हैं, यहां जानिये...
धारा 295 A: अगर कोई व्यक्ति भारतीय समाज के किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करता है या उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करता है या इससे संबंधित वक्तव्य देता है, तो वह आईपीसी (IPC) यानी भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 295 ए के तहत दोषी माना जाएगा.
- सजा का प्रावधान
दोषी पाए गए ऐसे व्यक्ति को अधिकतम दो साल तक के लिए कारावास की सजा का प्रावधान है और उस पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है. या फिर उसे दोनों ही तरह से दण्डित किया जा सकता है. यह एक संज्ञेय अपराध है, जो गैर जमानती है. ऐसे मामलों की सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है.
धारा 298: अगर शख्स कोई किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से कोई आपत्तिजनक शब्द उच्चारित करेगा या कोई ऐसी ऐसी आवाज करेगा या उसे कोई ऐसा आपत्तिजनक इशारा करेगा, या कोई ऐसी वस्तु उसके सामने रखेगा, तो वह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 के अनुसार दोषी पाया जाएगा.
- सजा का प्रावधान
ऐसे मामले में दोषी पाए जाने वाले उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. उस पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है. या फिर उसे दोनों ही तरह से दंडित किया जा सकता है.
धारा 504: अगर कोई जानकर किसी व्यक्ति को अपमानित करता है या सार्वजनिक शांति को भंग करता है, तो ऐसा अपराध करने पर 2 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.
धारा 153-A: अगर कोई बोलकर, लिखकर, इशारे से या किसी भी तरह से धर्म, मूलवंश, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर दो समूहों या जातियों के बीच असौहार्द्र या शत्रुता या घृणा बढ़ाता है या बढ़ाने की कोशिश करता है, तो उसे 3 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.