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रामचरितमानस पर बढ़ा विवाद, स्वामी प्रसाद मौर्य के मंदिर प्रवेश पर रोक के लगे पोस्टर

रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. अब लखनऊ में एक मंदिर के बाहर उनके प्रवेश पर रोक के पोस्टर लगाए गए हैं. मौर्य के बयान पर साधु संतों ने भी नाराजगी जाहिर की है. मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताया था.

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समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए विवादित बयान के बाद लखनऊ में एक मंदिर में उनके प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. ये रोक एक पोस्टर के जरिए लगाई गई है.

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पोस्टर यूपी की राजधानी लखनऊ के प्राचीन लेटे हनुमान मंदिर के बाहर लगाया गया है जिसमें मौर्य को अधर्मी बताते हुए मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाने का ऐलान किया गया है.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया था विवादित बयान

बता दें कि रविवार को सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि धर्म कोई भी हो, हम उसका सम्मान करते हैं. लेकिन धर्म के नाम पर जाति विशेष, वर्ग विशेष को अपमानित करने का काम किया गया है, हम उस पर आपत्ति दर्ज कराते हैं. समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने आजतक से बातचीत में कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. 

स्वामी प्रसाद मौर्य यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए.     

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पोस्टर

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.

संतों ने जताई थी आपत्ति

स्वामी प्रसाद मौर्य अपने इस बयान को लेकर चौतरफा घिरे हुए हैं. सिर्फ हिंदू ही नहीं मुस्लिम धर्मगुरु भी इस बयान पर कड़ी आपत्ति जता चुके हैं. मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि मैं स्वामी प्रसाद के बयान की मज्जमत करता हूं. 

मौर्य के बयान पर विवाद लगातार जारी है. लखनऊ में अखिल भारत हिंदू महासभा और विश्व हिंदू परिषद के साधु संत और कार्यकर्ताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ नाराजगी जताते हुए सीएम आवास की तरफ जा रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले ही रोक दिया. इस दौरान पुलिस और साधु-संत कार्यकर्ताओं के बीच  झड़प भी हुई.

बता दें कि रामचरितमानस पर सबसे पहले यह विवाद बिहार से शुरू हुआ था जहां शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने इसे नफरत फैलाने वाला पुस्तक बताया था.

 

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