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मथुरा: शहीद बबलू सिंह के स्मारक पर रखा गया T-55 टैंक, 2016 में हुए थे शहीद

मथुरा में शहीद बबलू सिंह को सेना ने सम्मानित किया. शहीद के सम्मान में उनकी स्मारक के साथ T55 टैंक रखा गया. कुपवाड़ा में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में उन्होंने चार आतंकियों को ढेर किया था. इस दौरान वो एक घायल सैनिक को कंधे पर रखकर ला रहे थे. तभी पीछे से एक आतंकी ने उन्हें गोली मार दी थी.

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शहीद बबलू सिंह के स्मारक पर रखा गया T-55 टैंक
शहीद बबलू सिंह के स्मारक पर रखा गया T-55 टैंक

उत्तर प्रदेश के मथुरा में शहीद बबलू सिंह को सेना ने सम्मानित किया. शहीद के सम्मान में उनकी स्मारक के साथ T55 टैंक रखा गया. इसके साथ ही सदर तहसील के फरह ब्लॉक का झंडीपुर गांव देश का पहला ऐसा गांव बना. जहां शहीद की स्मारक पर टैंक रखा गया. इस सम्मान को पाकर गांव में जश्न का माहौल है. 

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झंडीपुर गांव में शहीद बबलू सिंह के स्मारक पर स्थापित किया गया T-55 टैंक पुणे से मथुरा लाया गया है. इस टैंक को हासिल करने के लिए शहीद बबलू सिंह के भाई सतीश पिछले कई सालों प्रयास कर रहे थे. वो लगातार सैन्य अधिकारियों और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से मिल रहे थे. लेकिन अब जाकर ये टैंक उन्हें मिला है. टैंक को पुणे से मथुरा तक सड़क मार्ग से लाया गया. इस दौरान अलग-अलग शहरों में लोगों ने टैंक के साथ चल रही टीम का स्वागत किया. इस उत्साह और सम्मान को देखकर शहीद का परिवार और स्वाभिमान देश का (संगठन) के पदाधिकारी काफी खुश नजर आए.

स्वाभिमान देश का (संगठन) ने की मदद

इस टैंक को हासिल करने और शहीद स्मारक तक लाने के लिए शहीद बबलू सिंह के परिवार की मदद की 'स्वाभिमान देश का' नामक संगठन ने. यह संगठन देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले वीर शहीदों के परिवारों की आवाज़ उठाता है. उनकी मदद करता है. इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह बिधूड़ी ने शहीदों के सम्मान में साल 2018 में एक देशव्यापी यात्रा निकाली थी. जिसे नाम दिया गया था शहीद स्वाभिमान यात्रा. करीब 3 महीने में 29 राज्यों से होते हुए इस यात्रा जत्थे ने 25000 किलोमीटर का सफर किया था. इस दौरान सुरेंद्र देश के अलग-अलग राज्यों में गए थे और वहां रहने वाले शहीदों के परिवारों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुना था. 

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उसी शहीद स्वाभिमान यात्रा के दौरान सुरेंद्र सिंह बिधूड़ी जब मथुरा पहुंचे थे, तो वहां उनकी मुलाकात शहीद बबलू सिंह के परिवार से हुई थी. तब शहीद के भाई सतीश ने सुरेंद्र सिंह बिधूड़ी से इस काम में लिए मदद मांगी थी. तभी से वो सतीश के साथ इस काम में जुटे हुए थे. और अब उन्होंने ने ही पुणे से मथुरा तक इस टैंक को लाने का काम किया है. इस दौरान वे एक यात्रा के रूप में अपनी टीम के साथ चल रहे थे. लोगों ने जगह-जगह फूलमाला पहनाकर उनका स्वागत किया.

ऐसे शहीद हुए थे वीर बबलू सिंह

राष्ट्र सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले मथुरा के लाल बबलू सिंह 2005 में जाट बटालियन में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. नियुक्ति के 11 साल बाद बबलू सिंह को 2016 में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान में शामिल करते हुए 61 राष्ट्रीय राइफल में तैनाती दे दी गई थी. 

कुपवाड़ा में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में उन्होंने चार आतंकियों को ढेर किया था. इस दौरान वो एक घायल सैनिक को कंधे पर रखकर ला रहे थे. तभी पीछे से एक आतंकी ने उन्हें गोली मार दी थी. उनकी इस बहादुरी अदम्य साहस व कर्तव्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया था. अब सेना ने पहली बार किसी शहीद को टैंक समर्पित किया.

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T-55 टैंक ने पाकिस्तान के खिलाफ जंग में निभाया था अहम रोल

T-55 टैंक को पुणे से मथुरा लाया गया. इस टैंक ने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुई जंग में भारत को विजय दिलाने में अहम योगदान निभाया था. जैसे ही गांव में टैंक पहुंचा ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और लोग भारत माता की जय के नारे लगाने लगे. 

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