सारस और आरिफ की एक साल पुरानी दोस्ती टूट गई. घायल हालात में मिले सारस को आरिफ उठाकर अपने साथ ले आया था. उसे अपने साथ रखा और उसका इलाज किया. फिर दोनों एक साथ खाना खाने लगे. जहां आरिफ जाता, उसके पीछे सारस चल देता था.
मगर, अब उत्तर प्रदेश के वन विभाग की टीम ने इस दोस्ती को तोड़ दिया. सारस को रायबरेली के समसपुर पक्षी विहार में संरक्षित कर दिया गया है, ताकि वह अपने प्राकृतिक वातावरण में रह सके. वीडियो में पक्षी को एक पिक-अप ट्रक के पीछे रखते हुए दिखाया गया है. अपने दोस्त से बिछड़ते हुए आरिफ की आंखों में आंसू थे.
पिछले एक साल में कभी अकेला नहीं छोड़ा
आरिफ ने बताया, "मैंने पिछले साल किसी भी पारिवारिक समारोह में नहीं गया. मैं कहीं नहीं जा सका क्योंकि अगर सारस मुझे अपने आस-पास नहीं पाता है, तो यह असहज हो जाता था. अगर मुझे किसी काम से जाना है, तो मुझे उससे बचना पड़ता था. इस दौरान वह रात को भी मेरे पास ही सोता था.”
आरिफ ने आगे कहा, "मैं उसकी देखभाल करने में बहुत समय बिताता था. मेरे परिवार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. पक्षी को परिवार के सदस्य के रूप में स्वीकार कर लिया गया था. मेरे पास एक पालतू कुत्ता भी है और हम सभी पक्षी को पसंद करते थे."
पक्षी को अपने साथ ले गई विभाग की टीम
मंडल वन अधिकारी डीएन सिंह ने बुधवार को कहा, "जो भी कार्रवाई की गई है, वह आरिफ की सहमति से की गई है." विदा करने से पहले विभाग की ओर से पक्षी की वीडियोग्राफी की गई. आरिफ और सारस की दोस्ती टूटने की वजह बताते हुए अधिकारी ने कहा कि ये पक्षी हमेशा जोड़े में रहते हैं. चूंकि यह अकेला रह रहा था, इसलिए कुछ आशंका थी. लिहाजा, सारस को वहां से ले जाया गया है.
अखिलेश यादव ने साधा सरकार पर निशाना
इस पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा. अखिलेश ने कहा कि वे जिससे मिलने जाते हैं, सरकार उससे सब कुछ छीन लेती है. अखिलेश ने इस दौरान आजम खान और कानपुर से सपा विधायक इरफान सोलंकी का भी उदाहरण दिया.
आरिफ और सारस से मिलने गए थे अखिलेश
दरअसल, अमेठी के गौरीगंज तहसील के जोधपुर मंडखा गांव में रहने वाले आरिफ और राजकीय पक्षी सारस की दोस्ती सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी. अखिलेश यादव भी मंडखा में आरिफ और सारस की दोस्ती देखने पहुंचे थे.
अखिलेश यादव ने इसका वीडियो भी शेयर किया. अखिलेश ने ट्वीट किया, “वन विभाग की टीम उप्र के राजकीय पक्षी सारस को तो स्वतंत्र करने के नाम पर उसकी सेवा करने वाले से दूर ले गई, देखना ये है कि राष्ट्रीय पक्षी मोर को दाना खिलाने वालों से स्वतंत्र करने के लिए क्या कार्रवाई की जाती है.”