जहां उत्तर प्रदेश में गठबंधन को लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है, ऐसे में कांग्रेस ने मायावती को लेकर एक बार फिर से बड़ा बयान दिया है. जहां एक ओर अखिलेश यादव ने लगातार बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया है. वहीं दूसरी तरफ मायावती भी समाजवादी पार्टी के खिलाफ खुलकर बोल रही हैं. लेकिन कांग्रेस प्रभारी अभिलाष पांडे ने आजतक से बातचीत में कहा कि बीजेपी को हराने के लिए सभी सेकुलर पार्टियों को एक साथ आना ही होगा और उसमें समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों शामिल हैं.
कौन लड़ेगा कितनी सीट, क्या है यूपी का फॉर्मूला
मंगलवार को इंडिया गठबंधन में शामिल यूपी की पार्टियों के बीच शुरुआती बैठक हुई. चर्चा चल रही है कि समाजवादी पार्टी 60 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और बाकी सीट गठबंधन के सहयोगी दलों को देने का प्रस्ताव रख रही है जिसमें कांग्रेस भी शामिल है. इस सवाल पर कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने साफ तौर पर कहा कि जो भी कयास लगाए जा रहे हैं, वह सरासर गलत हैं और अभी तक सीटों की संख्या को लेकर कोई भी बातचीत सहयोगियों के बीच नहीं हुई है.
'सिर्फ कांग्रेस की नहीं है जिम्मेदारी'
कांग्रेस की तरफ से यह भी इशारा किया गया है कि वह बीजेपी विरोधी सभी पार्टियों के साथ संपर्क में है और बातचीत भी लगातार चल रही है. अविनाश पांडे ने यह साफ किया कि बीजेपी के खिलाफ जीत तभी हासिल की जा सकती है, जब सभी सीटों पर विपक्ष एक साझा उम्मीदवार बीजेपी के उम्मीदवार के खिलाफ उतारे और यह जिम्मेदारी सिर्फ कांग्रेस की नहीं बल्कि बाकी विरोधियों की भी है.
बीएसपी को लेकर अखिलेश के बयान पर क्या बोली कांग्रेस
कांग्रेस को अभी भी उम्मीद है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा होंगे. जब अविनाश पांडे से यह सवाल पूछा गया कि अखिलेश यादव तो बहुजन समाज पार्टी पर भरोसा करने से ही मना कर रहे हैं, तो ऐसे में क्या कांग्रेस गारंटी लेगी? इस सवाल पर कांग्रेस नेता का जवाब बड़ा रोचक था. पांडे ने कहा कि अखिलेश यादव स्वयं ही परिपक्व नेता हैं और उत्तर प्रदेश का नेतृत्व कर चुके हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास है कि अगर बीजेपी को हराना है तो सभी दलों को साथ आना पड़ेगा. मैं किसी विशेष दल का नाम नहीं ले रहा हूं.
तो क्या कांग्रेस बना रही है अपना प्लान बी?
राजनीतिक हलको में इस बात की भी चर्चा है कि अगर समाजवादी पार्टी अपने रुख पर कायम रहती है और कांग्रेस को काफी कम सीट देती है, तो ऐसी हालत में कांग्रेस एक प्लान B बना कर भी काम कर रही है. ऐसी हालत में कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन का चुनाव लड़ने की संभावनाएं बनाकर रखना चाहती है.