दीपावली का पर्व देश के हर घर में खुशियों के कई मौके लेकर आता है. यूपी के वृंदावन में इस बार दिवाली के मौके पर कुछ अलग और अनोखा देखने को मिला. यहां मंगलवार को हजारों की संख्या में विधवा महिलाओं ने यमुना घाट पर दिवाली का त्योहार मनाया. यमुना नदी के केशी घाट पर कई विधवा महिलाओं ने दीये जलाए और दिवाली मनाई. इस समारोह को वृंदावन के एनजीओ सुलभ होप फाउंडेशन ने आयोजित किया था.
परिवार से अलग होकर मनाया पर्व
कार्यक्रम में कई अन्य राज्यों से भी विधवा महिलाएं आई थीं जिन्हें उनके घरवालों ने या तो निकाल दिया है या फिर उन्हें उनसे अलग कहीं दूर भेज दिया. उन्होंने सफेद साड़ी पहनकर कई सारे रंगीन किस्म के फूलों से रंगोलियां भी बनाईं. इस मौके पर 70 साल की छवि दासी भी शामिल थीं, जो पश्चिम बंगाल से हैं.
उन्होंने बताया कि उन्हें ये दिवाली उनके बचपन और शादी के बाद के दिनों की याद दिला रहा था जब वो बिना किसी रोक-टोक के ये त्योहार मनाती थीं. वहां मौजूद रतामी जो 69 साल की हैं. वो बताती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो फिर कभी दोबारा दिवाली का त्योहार मना पाएंगी. पुष्पा अधिकारी (74) और अशोका रानी (60) भी काफी खुश देखी गईं.
'विधवा को माना जाता है अशुभ'
एनजीओ की उपाध्यक्ष विनीता वर्मा ने कहा, 'हिंदू समाज में आई सबसे खराब नीतियों में से एक नीति थी विधवा को अशुभ मानना. उनको हमेशा नीचा देखा जाता था. उन्हें उनके परिवार से अलग करके मजबूर किया जाता था कि वो अपना जीवन वृंदावन, वाराणसी या हरिद्वार में भीख मांगकर गुजारें.'
'इसलिए समाज की इन खराब नीतियों से लड़ने के लिए एनजीओ के फाउंडर स्वर्गिक बिंदेश्वर पाठक ने कुछ बड़े फैसले लिए जैसे वृंदावन में होली और दिवाली मनाना जो पिछले 12 साल से चला आ रहा है. हमारा एनजीओ पिछले 12 साल से लगातार दिवाली का त्योहार मनाता आ रहा है. हजारों की संख्या में वृंदावन में विधवा महिलाएं रहती आई हैं जो ज्यादातर बंगाल से हैं. उन्हें ऐसे मौकों में सम्मिलित होने का मौका नहीं मिलता था जब तक हमारे एनजीओ ने उनकी तरफ मदद का हाथ नहीं बढ़ाया था.'