उमेश पाल किडनैपिंग केस में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ थोड़ी देर में प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश होंगे. उमेश पाल को 2006 में अतीक अहमद ने अगवा कर लिया था. 24 घंटे तक टॉर्चर करने के बाद अतीक ने उमेश पाल से अपने पक्ष में गवाही भी दिला ली थी, लेकिन घटना के एक साल बाद उमेश पाल ने अतीक के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज करा दिया था. इसी केस के गवाही के दूसरे दिन ही उमेश पाल की हत्या कर दी गई थी.
किडनैपिंग केस में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पेशी से पहले उमेश पाल की मां शांति देवी ने आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि मेरे बेटे का पहले इसने अपरहण किया ऊसके बाद इसने मर्डर कर दिया, वो लड़ रहा था, जैसे मेरे बेटे का मर्डर हुआ है तो उसे फांसी होनी चाहिए, इसने जेल से रहते हुये मर्डर किया है, ये अगर जेल में रहेगा तो मेरे परिवार को भी मरवाएगा इसलिये उसे (अतीक और अशरफ) फांसी होनी चाहिए.
16 साल से इन्साफ मिलने की उम्मीद, देखिये आजतक के साथ बातचीत में क्या बोलीं उमेश पाल की पत्नी और माता जी #AtiqAhmed #UttarPradesh | @Chitraaum pic.twitter.com/GZfKc6Cmnz
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जिस उमेश पाल को 35 दिन पहले अतीक गैंग ने सरेआम गोलियों और बमों से भून डाला था, उसी उमेश पाल के अपहरण के 17 साल पुराने मामले में आज इंसाफ होगा. प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ समेत सभी आरोपियों के खिलाफ अपना फैसला सुनाएगी. पुलिस ने किडनैपिंग केस में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 364ए, 323, 341, 342, 504, 506, 120बी और सेवन सीएल अमेंडमेंट एक्ट के तहत केस दर्ज करके जांच की थी.
क्या है उमेश पाल किडनैपिंग केस?
28 फरवरी 2006 को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के गैंग ने उमेश पाल का अपहरण कर लिया था. उमेश पाल को अगवा करके कर्बला इलाके के दफ्तर में ले जाया गया. उसे मारा पीटा गया. बिजली के झटके तक दिये गये और हलफनामे पर जबरन दस्तखत कराकर 1 मार्च 2006 को अदालत में ये गवाही भी दिला दी गई कि राजू पाल की हत्या के वक्त वो घटना स्थल पर मौजूद नहीं था.
अपहरण काण्ड में थोड़ी देर में फैसला, ग्राउंड से ज्यादा जानकारी दे रही हैं आजतक संवाददाता @Chitraaum #AtiqAhmed #UttarPradesh | @NehaBatham03 pic.twitter.com/GcXSPe3vMa
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अतीक अहमद ने एक बार तो अदालत में उमेश पाल से अपने पक्ष में गवाही दिला ली थी लेकिन 2007 में यूपी की सरकार बदलते ही उमेश पाल ने 5 जुलाई को सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के अलावा 10 अन्य के खिलाफ अपहरण, मारपीट, धमकी जैसे गुनाहों के आरोप में मुकदमा दर्ज करा दिया था.
एफआईआर 270/2007 नाम के इस मुकदमे में अतीक अहमद, उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, दिनेश पासी, खान सौकत हनीफ, अंसार बाबा को आरोपी बनाया गया. जांच के दौरान जावेद उर्फ बज्जू, फरहान, आबिद, इसरार, आसिफ उर्फ मल्ली, एजाज अख्तर को भी आरोपी बनाया गया. पुलिस की रिपोर्ट दाखिल होते ही 2009 में अदालत ने आरोप तय कर दिये थे. इसके बाद अदालत में गवाही का सिलसिला शुरू हुआ तो उमेश पाल की ओर से पुलिसकर्मियों समेत कुल 8 गवाह पेश हुए जबकि अतीक गैंग ने 54 गवाहों से गवाही दिला दी थी.
इसके बाद जब उमेश पाल के मुकदमे की सुनवाई में देर होने लगी तो उमेश पाल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2 महीने में सुनवाई पूरी की गई और उसी सुनवाई में आखिरी गवाही देने के बाद उमेश पाल घर लौटे थे जब उनकी हत्या हो गई.