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मारपीट के एक मामले में 30 साल बाद आया फैसला, सुनवाई के दौरान बदल गए 15 से ज्यादा जज, लगीं सैकड़ों तारीखें

UP News: पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया और गवाह पेश न होने पर मामला पेंडिंग में हो गया, जब गवाही हुई तब मामला ट्रायल में आया, जिसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों के बाद 30 साल बाद गुरुवार को दो आरोपियों को दो- दो हजार का जुर्माना से दंडित किया. वहीं, तीसरे आरोपी की मौत हो चुकी है. 

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(सांकेतिक तस्वीर)
(सांकेतिक तस्वीर)

उत्तर प्रदेश के बांदा में एक मारपीट के मामले में 30 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. सजा सुनकर आसपास के लोग भी हैरानी में पड़ गए. अदालत ने आरोपियों को बंधक बनाकर मारपीट के मामले में इतने सालों बाद महज दो-दो हजार का जुर्माना लगाया है. इस दौरान सैकड़ों तारीखें पड़ीं, 15 से ज्यादा जज बदल गए, आरोपी भी जवान से बुड्ढे हो गए. यह मामला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है.

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कमासिन थाना इलाके के रहने वाले पीड़ित रामरूप शर्मा ने बताया, ''साल 1994 में गांव में शराबी किस्म के तीन आरोपियों ने मुझे घेर लिया था और  मुझे बंधक बनाकर मारा. जिसमे मेरे पेट और कई जगह चोट आई थी. मारने की वजह यह थी कि आरोपी पैसे मांग रहे थे, कुछ बहुत ले भी लिए थे.'' 

पीड़ित शिकायत करने थाना पहुंचा, जहां उसकी शिकायत के आधार पर पुलिस ने 31/ 94 में 323/ 504/ 506/ 342 के तहत केस दर्ज किया और जांच शुरू कर दी. 

पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया और गवाह पेश न होने पर मामला पेंडिंग में हो गया, जब गवाही हुई तब मामला ट्रायल में आया, जिसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों के बाद 30 साल बाद गुरुवार को दो आरोपियों को दो- दो हजार का जुर्माना से दंडित किया. वहीं, तीसरे आरोपी की मौत हो चुकी है. 

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इस दौरान पीड़ित से लगाकर आरोपी भी बुजुर्ग हो गए हैं. पीड़ित का कहना है कि तब मेरी उम्र 40 वर्ष थी अब 70 के ऊपर है. इसी तरह आरोपी भी तब जवानी में थे और अब 50 वर्ष के करीब हैं. पीड़ित ने कहा कि इन्हें कई मामलों में सजा है. ये पेशेवर अपराधी हैं. इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.

कोर्ट के अभियोजन अधिकारी चंद्रप्रकाश गौतम ने बताया कि कमासिन थाना क्षेत्र में आरोपियों ने पीड़ित को बनाकर मारपीट की थी. गाली गलौच करके जान से मारने की धमकी दी थी, जिसमें पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था, विवेचना हुई, आरोप पत्र दाखिल किया गया. बीते गुरुवार को आरोपियों ने कोर्ट के सामने अपना जुर्म स्वीकार किया, जिस पर अदालत ने उन्हें दो दो हजार का जुर्माना लगाया है. मामला 1994 का है, फैसला 2024 में आया है. इस दौरान सैकड़ों तारीखें पड़ी होंगी, 15 से 16 जज बदल गए होंगे, अब तक गवाहों के न आने से यह मामला पेंडिंग था, जैसे ही गवाही हुई तत्काल फैसला सुनाया गया है. 

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