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उत्तर प्रदेश में चल रही बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के आज रात 10 बजे 72 घंटे पूरे हो जाएंगे. उम्मीद जताई जा रही है कि बिजली कटौती से त्राहिमाम मचा रही जनता को कुछ घंटों बाद राहत की सांस मिलने लगेगी. हड़ताल की अगुवाई कर रहे शैलेंद्र दुबे ने भी इस बात की तस्दीक की है.
ऊर्जा संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे Aajtak से कहा, आज ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को कर्मचारी संगठनों से वार्ता के लिए आना था, लेकिन वह नहीं आए. इसलिए सोमवार को हाईकोर्ट में पेश होकर हम अपनी बात रखेंगे. हालांकि, सरकार से बातचीत के रास्ते अब भी खुले हैं. आज 10 बजे रात हमारी सांकेतिक हड़ताल खत्म हो रही है. उसके बाद ही आगे का निर्णय होगा.
बिजली कर्मचारियों के संगठन के मुखिया दुबे ने यह भी चेतावनी दी कि अभी दस बजे तक हड़ताल चलेगी. लेकिन अगर कर्मचारियों पर सरकार की दमनात्मक कार्रवाई चलती रही तो हड़ताल को अनिश्चितकाल के बढ़ाया भी जा सकता है. यह हड़ताल 16 मार्च यानी बीते गुरुवार को रात 10 बजे से शुरू हुई थी.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि बीते 3 दिसंबर को ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने हमारी वार्ता हुई थी. तब मंत्री ने समझौते में 15 दिन का समय दिया था. अब 100 दिन से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन मांगों को लेकर कोई पहल नहीं की गई.
दुबे ने कहा कि ऊर्जा निगमों की जिद के चलते कर्मचारी संगठनों को हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य किया गया है. बिजली कंपनियों में चेयरमैन और प्रबंध निदेशक की नियुक्ति समेत दूसरे मामलों को लेकर कर्मचारी हड़ताल पर हैं. कर्मचारी ओबरा और अनपरा की नई विद्युत उत्पादन इकाइयों को एनटीपीसी के हवाले करने का भी विरोध कर रहे हैं.
हड़ताल के मुख्य कारण:-
उधर, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का कहना है कि बिजली आपूर्ति में समस्या पैदा करने और कानून हाथ में लेने वाले आंदोलनकारियों से सख्ती से निपटा जाएगा. सभी विद्युत वितरण कंपनियों में छुट्टियां निरस्त कर दी गई हैं. साथ ही संभाग कमिश्नर और जिलों में जिलाधिकारियों को बिजली आपूर्ति की देखरेख करने के निर्देश जारी किए गए हैं.
वहीं, यूपी सरकार ने बिजली विभाग ने कर्मचारियों की हड़ताल के बीच संविदा पर काम करने वाले विभाग के 1 हजार 332 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. वहीं, आउटसोर्सिंग कंपनियों से कहा गया है कि बर्खास्त किए गये कर्मियों के स्थान पर कल से नए कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए.
बता दें कि बिजली कर्मियों की हड़ताल से उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बिजली आपूर्ति पर व्यापक असर हुआ है. राज्य के पूर्वांचल से लेकर पश्चिमांचल तक इस हड़ताल का असर घरों और उद्योगों के काम धंधे चरमरा गए हैं.
अनपरा बिजलीघर में 500 मेगावाट क्षमता की एक अन्य इकाई को बिजली कर्मियों के नहीं आने के कारण बंद करना पड़ा. इसके अलावा ओबरा ताप विद्युत गृह की कुल 1000 मेगावाट क्षमता की पांच इकाइयों ने काम करना पूरी तरह बंद कर दिया है.
इसके साथ ही अनपरा में 210-210 मेगावाट क्षमता की तीन इकाइयां कल हड़ताल के पहले दिन बंद रहीं. पारीछा थर्मल पावर स्टेशन में कल 210 मेगावाट क्षमता की एक इकाई को बंद करना पड़ा. इस तरह अब तक उत्पादन निगम में 2950 मेगावाट क्षमता की 12 ताप विद्युत इकाइयां बंद हो चुकी हैं. ट्रांसमिशन की कई लाइनें बंद हो चुकी हैं और 33/11 केवी वितरण उपकेन्द्रों पर विद्युत कर्मियों की अनुपलब्धता के कारण बिजली वितरण व्यवस्था चरमरा रही है.