यूपी में पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए बीजेपी ने एक बार फिर कोशिशें तेज कर दी हैं. पार्टी जल्द ही ओबीसी नेताओं के साथ बड़ी बैठक करने जा रही है. इस बैठक में ओबीसी नेताओं से चर्चा की जाएगी. यूपी सरकार में मंत्री और राज्य ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप ने कहा कि ओबीसी समाज को एक साथ लाया जाएगा और उनकी नाराजगी की वजह भी जानी जाएगी. कश्यप ने यह भी कहा कि संगठन, सरकार से बड़ा है.
बीजेपी नेता नरेंद्र कश्यप का कहना था कि संगठन, सरकार से बड़ा है. संगठन है तो ही सरकार है. बीजेपी 29 जुलाई को ओबीसी कार्य समिति की बैठक करने वाली है, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक समेत बीजेपी के बड़े नेता शामिल होंगे. बैठक का एजेंडा यही है कि कैसे ओबीसी वोट बैंक को बनाए रखा जाए और अगर नाराजगी की वजह से ओबीसी कहीं और शिफ्ट हुए हैं तो उन्हें कैसे वापस लाया जाए. कश्यप का कहना था कि बीजेपी कार्यकर्ता और नेताओं के अति आत्मविश्वास की वजह से यूपी में नुकसान झेलना पड़ा है.
सपा बोली- ओबीसी का पीडीए में भविष्य
वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह ने ओबीसी समाज की बैठक को लेकर बीजेपी पर तंज कसा है. उदयवीर ने कहा, यह चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, ओबीसी और पिछड़ा अब समझ गया है कि पीडीए में ही भविष्य है और बीजेपी सिर्फ आपस में लड़ाने की राजनीति करती है. यह लोग आपस में ही लड़े जा रहे हैं. अधिकारी इतने हावी हैं कि संगठन की नहीं चल रही है. उदयवीर सिंह ने कहा कि विधानमंडल की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष तय करेंगे कि कौन नेता प्रतिपक्ष होगा.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को लगा बड़ा झटका
दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजनीति में हर दल पिछड़ा वर्ग को साधने की कोशिश करता है. इस बार आम चुनाव के नतीजे आए तो कहा गया कि नाराज पिछड़ा वर्ग ने इस बार बीजेपी से दूरी बना ली है. इसे लेकर तमाम चर्चाएं भी शुरू हुईं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी में 33 सीटें जीतीं. जबकि 2019 के चुनावों में 62 सीटों पर जीत हासिल की थी. इससे पहले 2014 में बीजेपी ने यूपी में 71 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार कमजोर प्रदर्शन में पिछड़ा वर्ग की नाराजगी भी एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है. यूपी में पिछड़ा वर्ग (OBC) की आबादी कुल जनसंख्या का लगभग 50% है, जो चुनावी दृष्टि से एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है.
यूपी लोकसभा चुनाव में इस बार सबसे ज्यादा 37 सीटें सपा ने जीती हैं. कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत हासिल की है. बीजेपी के सहयोगी दल आरएलडी ने 2, अपना दल (S) ने एक सीट पर जीत हासिल की है. बसपा खाता नहीं खोल सकी है.
ओबीसी को लुभाने में जुटीं पार्टियां
वहीं, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी द्वारा ओबीसी समुदायों को लुभाने की कोशिशें भी बीजेपी के लिए चुनौती बन रही हैं. कई ओबीसी नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया और और सपा समेत अन्य दलों में शामिल हो गए. ओबीसी समुदायों का मानना है कि बीजेपी ने उनके लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया है और आरक्षण के मुद्दों पर भी पार्टी की नीति में सुधार की आवश्यकता है.
अखिलेश यादव का PDA क्या है?
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा सुझाया गया PDA (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) फॉर्मूला आम चुनावों में बीजेपी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में देखा गया. इस फॉर्मूले के तहत समाजवादी पार्टी ने पिछड़े वर्गों, दलितों और अल्पसंख्यकों को एकजुट करने का लक्ष्य रखा है. इस रणनीति का उद्देश्य इन समुदायों के समर्थन से एनडीए को चुनौती देना है.