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दलित वोट पर फोकस, कांग्रेस-सपा का नैरेटिव तोड़ने की कोशिश... 2027 चुनाव के लिए यूपी BJP ने बनाई ये रणनीति

बीजेपी संगठन की कोशिश है कि सभी कॉलेज, यूनिवर्सिटी, पॉलिटेक्निक और शिक्षण संस्थानों में दलित और ओबीसी युवाओं-छात्रों को एकजुट कर उन्हें भाजपा की विचारधारा से जोड़ा जाए और वह एक ऐसी वैचारिक आर्मी के तौर पर तैयार हो जाएं, जो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के दलित नैरेटिव का जवाब दे सकें.

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भारतीय जनता पार्टी 2027 के चुनाव की तैयारी में जुट गई है.
भारतीय जनता पार्टी 2027 के चुनाव की तैयारी में जुट गई है.

पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव की तरह 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी दलितों का नैरेटिव बीजेपी के खिलाफ सेट ना हो जाए, इसे भांपकर यूपी बीजेपी संगठन ने अभी से नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. राहुल गांधी दलितों के नए मसीहा बनें, इससे पहले बीजेपी उनके दलित प्रेम की हवा अपने नए दलित विमर्श के जरिए निकालना चाहती हैं. लिहाजा बीजेपी सामाजिक न्याय संगोष्ठी के जरिए अपने विमर्श को दलितों के बीच ले जा रही है.

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पहली बार प्रदेश बीजेपी संगठन ने दलित युवाओं, दलित छात्रों, दलित और पिछड़े वर्ग के प्रोफेसरों और शिक्षाविदों को जोड़कर और उनसे संवाद कर बीजेपी की विचारधारा उनके जरिए ही दलितों के बीच ले जाने की रणनीति बनाई है, इतना ही नहीं, दलित छात्र और दलित एकेडेमियों के जरिए ही दलित विमर्श में भाजपा की विचारधारा को भी स्थान देने की रणनीति पार्टी ने तैयार की है. 

गुपचुप तरीके से चल रहा प्रोग्राम

दलितों के बीच इस कार्यक्रम के सूत्रधार बीजेपी संगठन के प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह हैं, जो खुद भी अति पिछड़ी बिरादरी से आते हैं और उनका प्रयास है दलितों का ऐसा बड़ा वर्ग तैयार करना, जो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के दलित नैरेटिव को तोड़ सके. लिहाजा सामाजिक न्याय संगोष्ठी का पहला कार्यक्रम लखनऊ में आयोजित हुआ, जिसमें भाजपा नेता और राजनाथ सिंह के छोटे बेटे नीरज सिंह, संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह, बीजेपी के दलित चेहरे और मंत्री असीम अरुण शामिल हुए. जानकारी के मुताबिक ये काम बेहद गुपचुप तरीके से चल रहा है और मीडिया को ऐसे गोष्ठियों को दूर रखा गया है.

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दलित छात्रों को भाजपा की विचारधारा से जोड़ने की कवायद

बीजेपी संगठन की कोशिश है कि सभी कॉलेज, यूनिवर्सिटी, पॉलिटेक्निक और शिक्षण संस्थानों में दलित और ओबीसी युवाओं-छात्रों को एकजुट कर उन्हें भाजपा की विचारधारा से जोड़ा जाए और वह एक ऐसी वैचारिक आर्मी के तौर पर तैयार हो जाएं, जो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के दलित नैरेटिव का जवाब दे सकें. इसके लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर जोर भी दिया जा रहा है.

यूपी में कांग्रेस-सपा का मुकाबला करने की तैयारी

बता दें कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के हाथों बुरी तरह से बिछड़ने के बाद बीजेपी संगठन ने ये नई रणनीति तैयार की है. दरअसल, राहुल गांधी अभी भी संविधान, जातीय जनगणना और दलितों के आरक्षण के मुद्दे को लेकर उसी तरीके से आक्रामक हैं, जैसा वो लोकसभा चुनाव के वक्त थे. अपने आक्रामक अंदाज के जरिए ही राहुल गांधी ने बीजेपी के खिलाफ नैरेटिव तैयार किया था और माहौल बीजेपी के खिलाफ हो जाने से यूपी में बीजेपी की लुटिया लगभग डूब ही गई थी, लेकिन भाजपा संगठन को लगता है कि अगर शहर- शहर दलित और ओबीसी का ये संगठन तैयार हो गया, तो यह समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नैरेटिव का मुकाबला कर सकेगा.

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