उत्तर प्रदेश विधानमंडल का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. माना जा रहा है कि यह सत्र काफी हंगामेदार रहने वाला है. योगी सरकार 22 फरवरी को साल 2023-24 का बजट पेश करेगी, जो लगभग सात लाख करोड़ रुपये हो सकता है. कानपुर देहात के मुद्दे लेकर कानून-व्यवस्था और महंगाई समेत अन्य मामलों को लेकर सपा ने बीजेपी सरकार को घेरने की योजना बनाई है. सपा जातिगत जनगणना के मुद्दे को भी उठाएगी, लेकिन क्या अखिलेश यादव सदन में सीएम योगी आदित्यनाथ से 'शूद्र' पर सवाल भी पूछेंगे? क्योंकि अखिलेश खुद भी इस बात को कह चुके हैं कि वह विधानसभा सदन में मुख्यमंत्री से पूछेंगे कि कौन शूद्र है.
22 फरवरी को बजट पेश करेगी सरकार
विधानमंडल का बजट सत्र सोमवार सुबह 11 बजे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण शुरू होगा, जिसमें वह राज्य सरकार के कामकाज का ब्यौरा देंगी. हालांकि सरकार 22 फरवरी को 2023-24 का बजट पेश करेंगी. योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह दूसरा बजट होगा, जो करीब सात लाख करोड़ रुपये का हो सकता है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से बजट के जरिए युवाओं, महिलाओं, किसानों और कामगारों को साधने की कवायद होगी, क्योंकि बीजेपी केंद्र की सत्ता पर लगातार तीसरी बार काबिज होने के लिए यूपी में अपना कब्जा जमाए रखना जरूरी है.
योगी सरकार को घेरेगा विपक्ष
वहीं, बजट सत्र के दौरान विपक्ष ने भी विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार को सदन में घेरने की तैयारी कर रखी है. इस लिहाज से सत्र के दौरान हंगामा होने के आसार हैं. कानपुर देहात में झोपड़ी हटाने के दौरान मां-बेटी की जलकर हुई मौत की घटना ने विपक्ष को योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरने का मुद्दा थमा दिया है. ऐसे में सपा से लेकर कांग्रेस तक इस मुद्दे को सदन में उठा सकती है. समाजवादी से लेकर आरएलडी तक महंगाई के मुद्दे पर हंगामा कर सकते हैं तो गन्ना मूल्य में वृद्धि न होने पर भी विपक्ष सरकार पर हमलावर रहेगा. इतना ही नहीं कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, निराश्रित पशुओं और किसानों की समस्याओं को लेकर भी विपक्षी दल सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करेंगे.
जानकारी के मुताबिक बजट सत्र के एक दिन पहले रविवार को विधायक शिवपाल यादव की अगुवाई में हुई समाजवादी पार्टी की बैठक में योगी सरकार को घेरने की रणनीति बनी है. शिवपाल यादव ने कहा कि हमें जनता के हितों के लिए सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करना होगा. सदन में जनहित के मुद्दों को तथ्यात्मक तरीके से रखा जाएगा. प्रदेश में कानून व्यवस्था तार-तार है. महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है. बुलडोजर के नाम पर जनता का शोषण किया जा रहा है. इससे जुड़े मुद्दों को रिपोर्ट के साथ सदन में रखा जाएगा. कानपुर देहात जैसी अन्य जिलों में हुई घटनाओं पर संबंधित विधायक रिपोर्ट रखेंगे और प्रदेश की जनता को सच्चाई से वाकिफ कराया जाएगा. जातीय जनगणना के मुद्दे को हवा दे रहे विपक्षी दल इस मोर्चे पर भी सरकार को घेरने की रुपरेखा बनी है.
क्या सदन में 'शूद्र' का मुद्दा उठाएंगे अखिलेश?
रामचरितमानस को लेकर उठे विवाद के बाद सपा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव कह चुके हैं कि वह विधानसभा सदन में मुख्यमंत्री से पूछेंगे कि कौन शूद्र है? उन्होंने कहा था, 'हमारे मुख्यमंत्री योगी हैं जो एक संस्था से आए हैं. मैं रामचरितमानस और शूद्र पर सीधा पूछूंगा कि सदन में बताइए, शूद्र कौन-कौन हैं. ये हमारा और आपका सवाल नहीं है, ये धार्मिक लोगों का सवाल है. हम तो भगवान विष्णु के सभी अवतारों को मानते हैं, जिस पर हमें आपत्ति है उस पर हम सदन में पूछेंगे जिस शब्द को लेकर बवाल मचा है उसके बारे में कोई क्यों नहीं बोल रहा है. मैं इसे लेकर सदन में सवाल पूछूंगा.'
विधानमंडल का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव क्या विधानसभा सदन में इस बात को उठाएंगे और सीएम योगी से पूछेंगे. हालांकि, अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं को साफ तौर पर निर्देश दे दिया है कि उन्हें सांप्रदायिक और धार्मिक मुद्दों से बचना चाहिए. शिवपाल यादव ने भी इस बात को सपा विधानमंडल की बैठक में कहा है. राजेंद्र चौधरी भी सपा विधायक, सांसद और पार्टी नेताओं को यह बात कह चुके हैं. ऐसे में अखिलेश यादव सदन में यह बात उठाएंगे कि नहीं, इसे लेकर संशय बना हुआ है.
अखिलेश यादव अभी देश से बाहर हैं और रविवार शाम तक वह नहीं लौटे थे. ऐसे में सोमवार को उनके विधानसभा सदन में उपस्थित रहने पर संशय है. नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बगल वाली सीट शिवपाल सिंह यादव को एलॉट करने के विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा गया है, जिसके बाद अवधेश प्रसाद की सीट पर शिवपाल यादव बैठेंगे जबकि अवधेश प्रसाद को आजम खान की सीट एलॉट करने के लिए कहा गया है.
जातिगत जनगणना का मुद्दा उठेगा?
समाजवादी पार्टी लगातार जातिगत जनगणना का मुद्दा उठा रही है. जातीय जनगणना के मुद्दे को हवा दे रही. सपा इस मोर्चे पर भी सरकार को घेरने की रुपरेखा बनी है. सपा ने भले ही पार्टी नेताओं को निर्देश दिया है कि सांप्रदायिक और धार्मिक मुद्दों से बचना चाहिए, लेकिन उन्हें पिछड़े और दलित जाति समूहों से संबंधित मुद्दों को उठाने में कोई हिचक नहीं है. यूपी विधानमंडल में सपा के 109 विधायक और नौ एमएलसी हैं और बजट सत्र में सपा का फोकस जातिगत जनगणना रहेगा. जिले के विधानसभा क्षेत्रों में ब्लॉक स्तर पर संगोष्ठियां कर अन्य पिछड़ा वर्ग समेत सभी जातियों की जातिवार जनगणना की मांग को लेकर लोगों को जागरूक किया जाएगा. खास बात यह है कि इस अभियान के पहले चरण का केंद्र पूर्वांचल होगा और इस मुद्दे को पार्टी बजट सत्र में भी उठाएगी.