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UP उपचुनाव: RLD और निषाद पार्टी के दो-दो सीटों पर दावे का आधार क्या है, NDA में क्यों फंस रहा पेच?

यूपी की 10 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं. 10 सीटों के उपचुनाव में बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी और आरएलडी दो-दो सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं. इन दोनों पार्टियों के दो-दो सीटों पर दावे का आधार क्या है?

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संजय निषाद और जयंत चौधरी (फाइल फोटो)
संजय निषाद और जयंत चौधरी (फाइल फोटो)

लोकसभा चुनाव नतीजे आए महीनेभर ही हुए हैं कि सियासी दल फिर से चुनावी मोड में हैं. सात राज्यों की 13 सीटों पर उपचुनाव के बाद अब लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की बारी है. यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव में सीटों के लिहाज से समाजवादी पार्टी (सपा) के बाद दूसरे नंबर पर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) क्लीन स्वीप करने का टार्गेट लेकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है लेकिन सहयोगी दलों की डिमांड सत्ताधारी पार्टी की टेंशन बढ़ा सकती है.

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बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दो घटक दल दो-दो सीटों की डिमांड कर रहे हैं. डॉक्टर संजय निषाद की अगुवाई वाली निषाद पार्टी और जयंत चौधरी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) दो-दो सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं. बीजेपी सहयोगी दलों के लिए कोई सीट छोड़ेगी, इसके आसार कम ही हैं. निषाद पार्टी और आरएलडी की ओर से दो-दो सीटों पर की जा रही दावेदारी का आधार क्या है और एनडीए में इसे लेकर क्यों पेच फंस रहा है?

निषाद पार्टी के दावे का आधार क्या?

बीजेपी की ओर से हर सीट पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी के बीच निषाद पार्टी के प्रमुख दिल्ली का भी चक्कर लगा आए हैं. निषाद पार्टी के प्रमुख मिर्जापुर जिले की मझवां के साथ ही कटेहरी विधानसभा सीट के लिए दावेदारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा भी है- 10 सीटों के उपचुनाव में दो सीटें हमारी हैं और हम दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे. डॉक्टर संजय निषाद इन दो सीटों को अपना बता रहे हैं तो ये आधारहीन भी नहीं. 2022 के यूपी चुनाव में मझवां और कटेहरी, ये दोनों सीटें निषाद पार्टी के हिस्से आई थीं.

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मझवां सीट से निषाद पार्टी के विनोद बिंद जीते थे जबकि कटेहरी सीट पर पार्टी के उम्मीदवार को शिकस्त मिली थी. मझवां विधायक विनोद अब भदोही सीट से सांसद निर्वाचित होने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं. 2022 की सीट शेयरिंग में अपने कोटे आई सीट होने को आधार बनाकर निषाद पार्टी सीटिंग सीट मझवां के साथ ही कटेहरी के लिए भी दावेदारी कर रही है. कटेहरी सीट से सपा के लालजी वर्मा जीते थे जो अब अंबेडकरनगर से सांसद हैं.

आरएलडी क्यों मांग रही दो सीटें?

मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर सीट से 2022 में आरएलडी के चंदन चौहान जीते थे. चंदन चौहान अब बिजनौर सीट से सांसद हैं और उनके इस्तीफे से रिक्त हुई इस सीट पर उपचुनाव होने हैं. आरएलडी अपनी इस सीटिंग सीट के साथ ही अलीगढ़ जिले की खैर (सुरक्षित) सीट के लिए भी दावेदारी कर रही है. खैर सीट पर 2017 से ही बीजेपी काबिज है. बीजेपी के अनूप प्रधान वाल्मीकि 2017 और 2022 में खैर सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. अनूप अब हाथरस से सांसद हैं. आरएलडी इस सीट की डिमांड कर रही है तो इसके पीछे उसके अपने तर्क हैं, अपना आधार है.

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खैर सीट कभी आरएलडी का मजबूत गढ़ मानी जाती थी. पार्टी यह सीट तीन बार जीत चुकी है. खैर सुरक्षित सीट है लेकिन यहां नतीजे तय करने में निर्णायक भूमिका जाट वोटर ही निभाते हैं. पिछले यूपी चुनाव में आरएलडी का सपा से गठबंधन था और इस सीट से जयंत की पार्टी ने ही उम्मीदवार उतारा था. 2022 से 2024 के बीच पार्टी का गठबंधन बदल चुका है, गठबंधन सहयोगी बदल चुके हैं लेकिन आरएलडी की कोशिश पिछले चुनाव की प्रतिद्वंदी और उपचुनाव में सहयोगी बन चुकी पार्टी से वापस अपने हिस्से लेने की है.

एनडीए में क्यों फंस रहा है पेच?

बीजेपी लोकसभा चुनाव में कम हुई सीटों की कसर पूरी करने के लिए उपचुनाव को अच्छे मौके की तरह देख रही है. बीजेपी की कोशिश है कि अधिक से अधिक सीटें जीतकर लोकसभा चुनाव के बाद से आक्रामक विपक्ष के तेवरों की धार कुंद की जाए. ये उपचुनाव एक तरह से सीएम योगी की लोकप्रियता का भी लिट्मस टेस्ट माने जा रहे हैं. उपचुनाव को एक तरह से योगी बनाम अखिलेश भी कहा जा रहा है, ऐसे में संगठन के साथ ही सरकार और खुद सीएम भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते.

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लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी की समीक्षा बैठकों में सहयोगी दलों के वोट ट्रांसफर नहीं होने का मुद्दा भी उठा. निषाद पार्टी के प्रमुख डॉक्टर संजय निषाद अपने बेटे की हार के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं. अनुप्रिया पटेल भी भर्तियों में आरक्षण को लेकर चिट्ठी पर चिट्ठी लिख सरकार और बीजेपी को असहज कर रही हैं. ऐसे में बीजेपी की रणनीति उपचुनाव के जरिए सहयोगी दलों को भी ये स्पष्ट संदेश देने की हो सकती है कि लोकसभा चुनाव में संख्याबल कम होने से वह किसी भी तरह के दबाव में नहीं आने वाली, ड्राइविंग फोर्स वही है.

इन सीटों पर होने हैं उपचुनाव

उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें तीन सीटें ऐसी हैं जहां से बीजेपी के विधायक थे तो वहीं एक-एक सीट निषाद पार्टी और आरएलडी के कब्जे में थी. पांच सीटों से सपा के विधायक थे. इन सीटों में मझवां, कटेहरी, मीरापुर और खैर के साथ ही करहल, मिल्कीपुर, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर और सीसामऊ विधानसभा सीट शामिल हैं. मैनपुरी जिले की करहल सीट से सपा प्रमुख अखिलेश यादव विधायक थे. अखिलेश यादव ने कन्नौज से सांसद निर्वाचित होने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. वहीं, अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट अवधेश पासी के फैजाबाद से सांसद निर्वाचित होने के बाद इस्तीफे से रिक्त हुई है.

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