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प्रयागराज महाकुंभ में होगी यूपी कैबिनेट की बैठक, CM योगी मंत्रियों संग लगाएंगे गंगा में डुबकी, संतों के शिविर में भोज

Prayagraj Mahakumbh: 20 जनवरी को प्रयागराज में योगी सरकार की कैबिनेट बैठक हो सकती है और उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ पूरा कैबिनेट संगम में डुबकी लगा सकता है. 

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सीएम योगी आदित्यनाथ
सीएम योगी आदित्यनाथ

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 को लेकर योगी सरकार एक्टिव है. खुद सीएम योगी आदित्यनाथ मौके पर जाकर व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं. इस बीच खबर है कि 20 जनवरी को प्रयागराज में ही योगी सरकार की कैबिनेट बैठक होगी और उसी दिन मुख्यमंत्री योगी के साथ पूरा कैबिनेट संगम में डुबकी लगाएगा. 

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सूत्रों के मुताबिक, प्रयागराज में योगी सरकार की कैबिनेट बैठक बुलाई जाएगी, इसके लिए तारीख तय कर ली गई है. बैठक के बाद संभवतः उसी दिन सीएम योगी अपनी मंत्रियों के साथ संगम में डुबकी भी लगाएंगे. इसके अलावा पूरे कैबिनेट का भोजन भी एक साथ नाथ संप्रदाय के शिविर में हो सकता है. फिलहाल, अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. 

साल 2019 की तस्वीर

हालांकि, ये कोई पहला मौका नहीं होगा जब सीएम योगी गंगा में डुबकी लगाएंगे. कुंभ मेला 2019 के दौरान भी उन्होंने संगम में पवित्र डुबकी लगाई थी. उस वक्त यूपी के सीएम योगी के अलावा, कई मंत्रियों ने उनके साथ गंगा स्नान किया था. जिसकी तस्वीरें काफी चर्चा में रही थीं. तब प्रयागराज में यूपी कैबिनेट की बैठक भी बुलाई गई थी. 

आपको बता दें कि आज 10 जनवरी को सीएम योगी प्रयागराज में आयोजित 'आजतक' के कार्यक्रम 'धर्म संसद' में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि महाकुंभ में कोई भी आ सकता है. महाकुंभ ऐसी जगह है, जहां जाति-पंथ की दीवारें समाप्त हो जाती हैं. जहां किसी प्रकार के भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं होता है. महाकुंभ के बारे में मान्यता है कि ये वसुधैव कुटुम्बकम का एक वृहद और विराट रूप देखने को आपको मिलेगा. एक स्थान पर इतने बड़े पैमाने पर छोटी से अवधि के दौरान देश-दुनिया से कोटि-कोटि श्रद्धावान इकट्ठे होंगे. उसमें कोई किसी के साथ भेदभाव नहीं है.

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वहीं, मुस्लिमों की एंट्री पर उन्होंने कहा कि "जो अपने को भारतीय मानता है. भारतीय सनातन परंपरा पर श्रद्धा का भाव रखता है. बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जिन्होंने किसी कालकंड में किसी दबाव में आकर उनके पूर्वजों ने उपासना विधि के रूप में इस्लाम स्वीकार किया था, लेकिन वे भारत की परंपरा पर आज भी गौरव की अनुभूति करते हैं. अपने गौत्र को भारत के ऋषियों के नाम से जोड़कर देखते हैं. पर्व और त्योहारों में उनकी भागेदारी उसी रूप में होती है. वो लोग अगर परंपरागत रूप से संगम में स्नान करके ने आते हैं तो कोई बुराई नहीं है. उनका स्वागत है. वो लोग आएं. कहीं कोई समस्या नहीं. लेकिन अगर कोई ये कहने आएगा कि ये भूमि हमारी है और हम लोग इस पर कब्जा करेंगे. मुझे लगता है कि उनको डेंटिंग-पेंटिंग का सामना करना पड़ सकता है."

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