उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बीजेपी की ओबीसी कार्यसमिति की बैठक में माना कि 'हम अति आत्मविश्वास की वजह से हारे'. उन्होंने कहा कि सरकार के बल पर चुनाव नहीं जीता जाता, पार्टी ही चुनाव लड़ती है और पार्टी ही चुनाव जीतती है.
केशव मौर्य ने दावा किया कि समाजवादी पार्टी में अभी और भगदड़ मचने वाली है. डिप्टी सीएम ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों का जवाब दें. उन्होंने कहा, 'देखिए मीडिया में बहुत फेंकू लोग भी हैं, क्या मीडिया में चल रहा है, क्या सोशल मीडिया पर चल रहा है इस पर ज्यादा ध्यान न दें लेकिन सतर्क रहें और जवाब दें.'
'सिर्फ फोटो पोस्ट करने से कुछ नहीं होगा'
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, 'सिर्फ सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने से कुछ नहीं होगा. अखिलेश और कांग्रेस की सोशल मीडिया का जवाब देना होगा.' पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए बीजेपी ने सोमवार को ओबीसी कार्य समिति की बैठक की. बैठक में प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक मौजूद रहे. सीएम योगी के आने से ऐन पहले दोनों डिप्टी सीएम मीटिंग से निकल गए.
'69000 में से 31 हजार भर्तियां ओबीसी की हुईं'
बैठक में सीएम योगी ने कहा, '69000 शिक्षकों की भर्ती के बारे में जो लोग सवाल खड़ा करते हैं उन्हें जानना चाहिए कि अगर ओबीसी का 27 फीसदी आरक्षण होता तो 18 हजार शिक्षक ही भर्ती होते लेकिन 69000 में 31 हजार से ज्यादा भर्तियां ओबीसी की हुईं. 69000 शिक्षकों को उन्हीं लोगों ने विवादित बनाया जिन्होंने 86 में से 56 एसडीएम एक ही जाति के बनाए थे.'
उन्होंने कहा कि सपा सरकार में 86 एसडीएम की नियुक्ति हुई. 86 में से 56 सिर्फ एक ही जाति के थे, वो लोग इस बात पर खामोश हो जाते हैं. पिछले 7 वर्षों में हमने 6.50 लाख सरकारी भर्तियां कीं. इसमें 60 प्रतिशत ओबीसी समाज की भर्तियां हैं. 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में हमने इसको लागू किया. वही लोग ये सवाल खड़ा करते हैं जो 86 में 56 एक ही समाज के भर्ती करते थे.
मुख्यमंत्री ने कहा, 'अभी कांवड़ यात्रा चल रही है. याद करिए कांग्रेस, सपा और बसपा के वक्त इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. लोकसभा का चुनाव ये उदाहरण है कि कैसे जातियों को आपस में लड़ाया गया.'
यूपी में बीजेपी के खाते में आईं 33 सीटें
दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजनीति में हर दल पिछड़ा वर्ग को साधने की कोशिश करता है. इस बार आम चुनाव के नतीजे आए तो कहा गया कि नाराज पिछड़ा वर्ग ने इस बार बीजेपी से दूरी बना ली है. इसे लेकर तमाम चर्चाएं भी शुरू हुईं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी में 33 सीटें जीतीं. जबकि 2019 के चुनावों में 62 सीटों पर जीत हासिल की थी.
खराब प्रदर्शन के पीछे नाराज पिछड़ा वर्ग बड़ा कारण
इससे पहले 2014 में बीजेपी ने यूपी में 71 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार कमजोर प्रदर्शन में पिछड़ा वर्ग की नाराजगी भी एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है. यूपी में पिछड़ा वर्ग (OBC) की आबादी कुल जनसंख्या का लगभग 50% है, जो चुनावी दृष्टि से एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है.
यूपी लोकसभा चुनाव में इस बार सबसे ज्यादा 37 सीटें सपा ने जीती हैं. कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत हासिल की है. बीजेपी के सहयोगी दल आरएलडी ने 2, अपना दल (S) ने एक सीट पर जीत हासिल की है. बसपा खाता नहीं खोल सकी है.