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उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को हाथरस कांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया. हाथरस में हुई दुखद घटना के एक दिन बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस ब्रिजेश कुमार श्रीवास्तव करेंगे. उनके अलावा सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हेमंत राव और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी भावेश कुमार अन्य दो सदस्य होंगे.
आयोग कार्यक्रम के दौरान भीड़ नियंत्रण और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा की गई व्यवस्था और उनसे जुड़े अन्य पहलुओं की जांच करेगा और उन कारणों और परिस्थितियों का पता लगाएगा जिनके कारण उक्त घटना घटी. न्यायिक आयोग को दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करके रिपोर्ट शासन को सौंपनी होगी. आयोग मामले के विभिन्न पहलुओं पर गौर करेगा, जिसमें हाथरस कांड एक दुर्घटना है या साजिश यह एंगल भी शामिल है.
भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो, इसके लिए जरूरी उपायों और सुझावों की भी सिफारिश न्यायिक आयोग अपनी जांच रिपोर्ट में करेगा. हाथरस जिला प्रशासन द्वारा कार्यक्रम के लिए दी गई अनुमति और कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा उसमें उल्लिखित शर्तों के अनुपालन की जांच भी की जाएगी. किसी अन्य सुनियोजित आपराधिक घटना की संभावना के पहलू पर भी आयोग गौर करेगा.
जांच कमेटी इन पांच सवालों के ढूंढेगी जवाब
1. कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा, जिला प्रशासन द्वारा प्रवत्त अनुमति एवं उसमें उल्लिखित शर्तों के अनुपालन की जांच.
2. यह घटना कोई दुर्घटना है अथवा कोई षडयंत्र या अन्य कोई सुनियोजित आपराधिक घटना की संभावना के पहलुओं की जांच.
3. हाथरस जिला प्रशासन एवं पुलिस द्वारा कार्यक्रम के दौरान भीड़ नियंत्रण तथा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने हेतु किये गये प्रबन्ध एवं उनसे सम्बन्धित अन्य पहलुओं की जांच.
4. उन कारणों एवं परिस्थितियों का अभिनिश्चय करना जिसके कारण उक्त घटना घटित हुई.
5. भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के सम्बन्ध में सुझाव देना.
परमिशन 80000 लोगों का था, भीड़ जुटी 2.5 लाख
पुलिस ने भोले बाबा के 'सत्संग' के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें उन पर 2.5 लाख लोगों को कार्यक्रम स्थल में ठूंसने का आरोप लगाया गया है, जबकि उन्होंने केवल 80,000 लोगों की अनुमति ली थी. वहीं भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने कहा है कि वह हाथरस भगदड़ की जांच में पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं. भोले बाबा ने एक बयान जारी कर खुद को निर्दोष बताया और दावा किया कि 'कुछ असामाजिक तत्वों ने साजिश रची' जिस कारण यह घटना घटी.
पुलिस ने FIR में भोले बाबा को नहीं बनाया आरोपी
हाथरस के सिकंदराराऊ पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर में सत्संग के 'मुख्य सेवादार' देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों को आरोपी के रूप में नामित किया गया है. जगत गुरु साकार विश्वहरि भोले बाबा के नाम से मशहूर धार्मिक उपदेशक सूरजपाल का नाम एफआईआर में नहीं है. वहीं, एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर घटना की जांच के लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की गई एक अन्य जनहित याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से घटना की जांच कराने की मांग की गई है.
सेवादार पीड़ितों को छोड़ कर भाग गए: CM योगी
हाथरस एसडीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि भोले बाबा जब सत्संग खत्म होने के बाद कार्यक्रम स्थल से जाने लगे तो लोग उनका 'दर्शन' करने और उनके चरणों की धूल इकट्ठा करने के लिए उनके पीछे दौड़े. 'सेवादारों' ने बलपूर्वक लोगों को भोले बाबा से दूर हटाया. लोगों की भीड़ कार्यक्रम स्थल के पास स्थित राजमार्ग से नीचे उतरने लगी. इसी दौरान कई लोग ढलान से फिसल गए और एकदूसरे पर गिरते गए. सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटनास्थल का दौरान करने के बाद कहा कि 'सेवादारों' को पीड़ितों को अस्पताल ले जाना चाहिए था. लोग मर रहे थे और सेवादार उन्हें छोड़कर वहां भाग गए.
मरने वालों में 113 महिलाएं... 6 बच्चे और 2 पुरुष
यह पूछे जाने पर कि एफआईआर में भोले बाबा का नाम आरोपी के रूप में क्यों नहीं है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'प्रथम दृष्टया, उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है जिन्होंने कार्यक्रम की अनुमति के लिए आवेदन किया था. जो भी इसके लिए जिम्मेदार है वह इसके दायरे में आएगा. धार्मिक सभा के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई और 28 घायल हो गए. मरने वालों में 113 महिलाएं, 6 बच्चे और 2 पुरुष शामिल हैं. इधर यूपी पुलिस कल से दो बार बाबा के मैनपुरी स्थित राम कुटिर चैरिटेबल ट्रस्ट आश्रम आ चुकी है. लेकिन पुलिस को भोले बाबा यहां नहीं मिले.