scorecardresearch
 

हाथरस केस में एससी-एसटी कोर्ट ने तीन आरोपियों को बरी किया, एक दोषी करार

हाथरस में 14 सितंबर 2020 को दलित लड़की से गैंगरेप का मामला सामने आया था. घटना के बाद लड़की की हालत गंभीर हो गई थी, जिसके बाद उसे अलीगढ़ रेफर किया था. इसके बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 सितंबर को लड़की की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. 

Advertisement
X
हाथरस केस में पीड़िता के बयान के आधार पर 4 लोगों को बनाया गया था आरोपी (फोटो- पीटीआई)
हाथरस केस में पीड़िता के बयान के आधार पर 4 लोगों को बनाया गया था आरोपी (फोटो- पीटीआई)

उत्तर प्रदेश के हाथरस केस में एससी-एसटी कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने चार में से तीन आरोपियों को बरी कर दिया. जबकि एक आरोपी को दोषी करार दिया है. हाथरस में 14 सितंबर 2020 को दलित लड़की संग गैंगरेप का आरोप कुछ युवकों पर लगा था. इस घटना के बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 सितंबर को लड़की की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. 

Advertisement

एससी-एसटी कोर्ट ने तीन आरोपियों लव-कुश, रामू और रवि को बरी कर दिया है. संदीप को कोर्ट ने 3/110 और 304 का दोषी माना है. SC-ST कोर्ट के न्यायधीश ने संदीप को आजीवन कारावास और ₹50000 जुर्माने की सजा सुनाई है. हालांकि, पीड़ित पक्ष फैसले से असंतुष्ट नजर आया. पीड़ित पक्ष इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख कर सकता है. बता दें कि कोर्ट ने रेप और गैंगरेप की धाराओं को हटा दिया है, मतलब इसमें चारों में से किसी को भी दोषी नहीं माना गया है.

पीड़िता के बयान पर चार युवक बनाए गए थे आरोपी

पीड़िता ने इलाज के दौरान बयान में चार युवकों संदीप, रामू, लवकुश और रवि पर गैंगरेप का आरोप लगाया था. इसके आधार पर पुलिस ने चारों युवकों को गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले में यूपी पुलिस पर तमाम तरह के सवाल खड़े हुए थे. आरोप था कि पुलिस ने परिवार को बिना बताए युवती का अंतिम संस्कार कर दिया था. इतना ही नहीं यूपी पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि पीड़िता के साथ गैंग रेप नहीं हुआ. यूपी पुलिस के इस बयान के बाद कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार भी लगाई थी. इस मामले में योगी सरकार ने एसआईटी भी बनाई थी. 

Advertisement

सीबीआई ने की मामले में जांच

हालांकि, देशभर में इस घटना के विरोध में प्रदर्शन हुआ था. इस मामले में योगी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जिसके बाद सीबीआई ने जांच संभाली और कई बार पीड़िता के परिवार से पूछताछ की थी. इतना ही नहीं सीबीआई ने अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों से पूछताछ की थी. आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मैपिंग भी किया गया था. पिछले दिनों सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. 

सीबीआई ने 22 सितंबर को दिए गए पीड़िता के आखिरी बयान को आधार बनाते हुए चार्जशीट दाखिल की थी और निर्णय कोर्ट के ऊपर छोड़ा है. सीबीआई ने हाथरस केस से संबंधित मामले में 4 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. एजेंसी ने चारों आरोपियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप और एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की थी. आरोपियों पर धारा-325, SC-ST एक्ट 376 A और 376 D (गैंग रेप) और 302 की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की गई थीं. 

लेकिन आदेश में लवकुश, रवि उर्फ रविंद्र, रामू उर्फ राम कुमार को 376A, 376D, 302, SC-ST एक्ट की धाराओं से मुक्त किया गया. वहीं संदीप उर्फ चन्दू को 304 और SC-ST एक्ट के तहत दोषी पाया गया है.

Advertisement

(इनपुट- राजेश)
 

 

Advertisement
Advertisement