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राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को इस बार नहीं सौंपी जाएगी लखनऊ की 'चाभी', जानें क्या है परंपरा

ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 12 फ़रवरी को समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आना है तो वहीं समिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. ये परम्परा है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जब भी शहर में पहुंचते हैं तो एयरपोर्ट पर उनका स्वागत शहर के प्रथम नागरिक के तौर पर मेयर भी करते हैं. मेयर उनको शहर की चाभी सौंपते हैं.

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तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की लखनऊ यात्रा के दौरान उन्हें 'लखनऊ की चाभी' सौंपी गई थी.
तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की लखनऊ यात्रा के दौरान उन्हें 'लखनऊ की चाभी' सौंपी गई थी.

'माननीय आपका लखनऊ शहर में स्वागत है... ये शहर आपका है....' ये कहने के साथ ही ख़ास तौर पर बनी चांदी की पॉलिश की हुई क़रीब एक फुट की चाभी देकर देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के स्वागत की अद्भुत परम्परा इस बार लखनऊ नहीं निभा पाएगा. उत्तर प्रदेश में नगर निगमों का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद अभी चुनाव नहीं हुए हैं. ऐसे में मेयर के पद से जुड़ी इस परम्परा का निर्वाह नहीं हो पाएगा.

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ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 12 फ़रवरी को समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आना है तो वहीं समिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. ये परम्परा है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जब भी शहर में पहुंचते हैं तो एयरपोर्ट पर उनका स्वागत शहर के प्रथम नागरिक के तौर पर मेयर भी करते हैं. मेयर उनको शहर की चाभी सौंपते हैं.

क्या है चाभी सौंपने की परंपरा

इसके पीछे ये माना जाता है कि ये शहर आपका है, आपको शहर की चाभी दे दी गयी है, आप अपनी इच्छाअनुसार कहीं भी जा सकते हैं. यह परंपरा काफ़ी समय से चली आ रही है. कहते हैं कि राजा रजवाड़ों ने इसे अपने साम्राज्य के क़िले के गेट से जोड़ा यानि कोई दूसरे मित्र राज्य का राजा आए तो क़िले के गेट खोलने के साथ ही प्रतीक तौर पर चाभी दी जाती.

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अवध के नवाबों के समय में ये परम्परा जारी रही. यही नहीं अंग्रेजों को भी ये परम्परा खूब भायी. आज़ादी के बाद भी इसे जारी रखा गया यानि आज़ादी के बाद लगातार 75 साल तक जब भी देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष आए तो उनको स्वागत के लिए सम्मान स्वरूप शहर की चाभी दी गयी. 

राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल के ब्लू बुक का ये है नियम

लखनऊ की मेयर रहीं संयुक्ता भाटिया कहती हैं कि ये एक परम्परा है और मेरा सौभाग्य है कि मुझे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को शहर की चाभी सौंपने का मौक़ा मिला. राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल के ब्लू बुक में बक़ायदा इसका उल्लेख है कि किसी राज्य में जाने पर राज्यपाल, फिर राज्य के मुख्यमंत्री और तीसरे नम्बर पर शहर के मेयर स्वागत करने के लिए उपस्थित होंगे.

एयरपोर्ट पर इसी क्रम में ये लोग खड़े होते हैं. स्वागत में शहर के मेयर उनको प्रतीक रूप में चाभी देते हैं. इस चाभी के ख़रीद की ज़िम्मेदारी नगर निगम की होती है. ये चाभी क़रीब एक फुट की होती है, जिसपर चांदी का पॉलिश होती है. इसे फ़्रेम में सजाकर देने की परम्परा है. इस बारे में बक़ायदा नियम हैं. इसे शहर के प्रथम नागरिक के तौर पर मेयर ही देता है.

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यूपी में नगर निकाय चुनाव अभी नहीं हुए हैं पर नगर निगमों का कार्यकाल ख़त्म हो गया है. ऐसे में ज़िलों में जिलाधिकारी के नेतृत्व में समिति बनी है, जो नगर निगम प्रशासन को देख रही है. चाभी सौंपने और राज्यपाल, मुख्यमंत्री के बाद क्रम में स्वागत का अधिकार मेयर के पास होने की वजह से चाभी नहीं दी जा सकेगी.

 

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