यूपी में उपचुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी को नगर निकाय चुनाव को लेकर चिंता बढ़ गई है. दरअसल मैनपुरी और खतौली सीटों पर बीजेपी का हार का सामना करना पड़ा है. अब पार्टी की कोशिश है कि इस हार का असर नगर निकाय के चुनावों पर न पड़े. इस बात को ध्यान में रखते हुए बीजेपी रविवार को नगर निकाय के चुनाव की रणनीति को लेकर मंथन करेगी. साथ ही जिला स्तर तक के पदाधिकारियों को फाइनल संदेश भी दिया जाएगा.
बैठक में प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी, संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के साथ प्रदेश के पदाधिकारी, निकाय चुनाव के प्रभारी और सभी जिलाध्यक्ष शामिल होंगे. योगी सरकार ने जिन मंत्रियों को नगर निकाय चुनाव का प्रभारी बनाया है, से भी इस बैठक में शामिल होंगे. ये बैठक इसलिए भी खास है क्योंकि अब नगर निकाय चुनाव का काउंट डाउन शुरू हो गया है. इसके लिए चार-पांच दिनों में अधिसूचना जारी हो सकती है. ऐसे में जिला स्तर के पदाधिकारियों को नगर निकाय चुनाव के लिए फाइनल संदेश भी पार्टी ओर से इस बैठक में मिलेगा.
दरअसल बीजेपी अब तक जहां प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में व्यस्त थी, वहीं यूपी बीजेपी के पदाधिकारी गुजरात चुनाव में जिम्मेदारी निभा रहे थे. ऐसे में उपचुनाव को लेकर शुरुआती रणनीति के अलावा मंथन नहीं हो पाया. हालांकि पार्टी के ‘माइक्रो मैनेजमेंट’ के पुराने फॉर्म्युले पर अमल करते हुए सभी सीटों के लिए प्रभारी और सह प्रभारी पहले ही तय कर दिए थे लेकिन अब सीटों का आरक्षण घोषित होने के बाद फाइनल रणनीति पर मंथन और उसे जिलों तक पहुंचाने की बारी है. मेयर की सीटों के लिए जो आरक्षण घोषित हुआ है, उसको देखते हुए भी चर्चा बैठक में होगी.
क्या पश्चिमी यूपी में कमजोर हो रही बीजेपी
एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव ने सपा और बीजेपी के लिए नई परिस्थितियां तैयार कर दी हैं. सपा और RLD खतौली सीट बीजेपी से छीनने की वजह से उत्साहित है. वहीं मैनपुरी लोकसभा में डिंपल यादव की बड़ी मार्जिन से जीत ने सपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम किया है. हालांकि बीजेपी के खाते में पहली बार रामपुर विधानसभा की सीट गई है. पार्टी के लिए यह सफलता है लेकिन पश्चिमी यूपी की खतौली सीट पर हार पार्टी के लिए चिंता की बात है.
सपा RLD गठबंधन ने ये सीट बीजेपी से छीनी है तो इसे पश्चिमी यूपी में बन रहे नए सियासी समीकरण और पार्टी के लिए कमजोर होती जमीन की आहट के तौर पर भी देखा जा सकता है. हालांकि पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना है कि एक सीट पर उपचुनाव के नतीजे से नगर निकाय चुनाव को नहीं जोड़ा जा सकता लेकिन इतना तय है कि पार्टी के रणनीतिकारों के लिए यह चिंता की बात है.
शिवपाल के सपा में जाने से बीजेपी मुश्किल में
पार्टी की एक चिंता अखिलेश और शिवपाल सिंह यादव के साथ आने की भी है. उससे पहले सपा से दूरी बनाने वाले शिवपाल ने नगर निकाय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी लेकिन मैनपुरी चुनाव के बाद अब शिवपाल पूरी तरह सपा के हो चुके हैं. ऐसे में बीजेपी को जमीनी स्तर पर इस स्थिति का भी सामना करना है. जाहिर है पार्टी की रणनीति इन बातों को ध्यान में रखकर तैयार की जाएगी.
बीजेपी के प्रदेश मंत्री और एमएलसी सुभाष यदुवंश कहते हैं कि नगर निकाय के चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं. केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है. लोगों को पता है कि हमारी पार्टी के विजय से नगर निकायों और नगर पंचायतों के विकास की गति तेज होगी. ऐसे में इन चुनावों में हम प्रचंड विजय प्राप्त होगी.