उत्तर प्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती ने 13 साल बाद एक बार फिर से भाईचारा कमेटियां गठित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पहले चरण में एससी, एसटी, ओबीसी के साथ जोड़ा जा रहा है. आगे चलकर ब्राह्मण के साथ अन्य जातियों को जोड़ा जाएगा. जिला स्तर पर गठित होने वाली भाईचारा कमेटियां अब विधानसभावार भाईचारा कमेटियां बनाई जाएंगी.
इससे पहले बसपा में भाईचारा कमेटी 2017 में बनी थी, जिसमें हर जाति को शामिल किया गया था. ये कमेटियां मंडल और जिला स्तर पर अस्तित्व में थीं. बाद में भंग कर दिया गया. उसके बाद फिर भाईचारा कमेटी बनाई गई हैं. अब ओबीसी और एससी को लेकर अब जिला स्तर पर भाईचारा कमेटी बनाई गई है.
25 मार्च को मायावती करेंगी मीटिंग
इन भाईचारा कमेटी में पहले ओबीसी और एससी को मिलकर दो जिला संयोजक बनाए गए हैं जो पिछड़ा भाईचारा संगठन के संयोजक होंगे और ओबीसी समाज को जोड़ेंगे और मिलकर इन जातियों के लिए काम करेंगे. आगामी 25 मार्च को बसपा सुप्रीमो मायावती यह बताएंगी कि जातियों को कैसे जोड़ना है. इसके लिए वे निर्देश देंगी.
हर जिले में बैकवर्ड भाईचारा कमेटी बनाई गई है. लखनऊ में विनय कश्यप, राकेश कुमार गौतम को जिम्मेदारी दी गई है. ऐसे ही हर जिले में दो लोगों को नियुक्त किया गया है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने 25 मार्च को प्रदेश पदाधिकारियों की अहम बैठक बुलाई है, जिसमें मंडलीय कोऑर्डिनेटर, जिलाध्यक्षों के साथ भाईचारा कमेटी में शामिल होने वालों को बुलाया गया है. इस बैठक में संगठन विस्तार को विशेष दिशा-निर्देश दिए जाएंगे. साथ ही भाईचारा कमेटी में शामिल होने वालों की भूमिका तय की जाएगी.
क्या करेंगी भाईचारा कमेटियां?
लखनऊ मंडल भाईचारा कमेटी में सभी जिलों के जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं. लखनऊ के शैलेंद्र गौतम, रायबरेली के राजेश कुमार फौजी, उन्नाव के दिनेश गौतम, हरदोई के सुरेश चौधरी को भाईचारा कमेटी में शामिल किया गया है. भाईचारा कमेटियों का काम होगा कि वो निचले स्तर पर जाकर कमेटियां बनाएं.
बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के मुताबिक, इस बार भाईचारा कमेटी बनाई है जो OBC और SC समाज को एक साथ जोड़ेगी, जिसके लिए दो संयोजक हर जिले में बनाए गए हैं. एक OBC से और एक एससी समाज से.
लखनऊ जिलाध्यक्ष शैलेंद्र गौतम के मुताबिक, जिलाध्यक्ष के अलावा अब हर जिले में OBC और SC भाईचारा के संयोजक बनाए गए हैं. यह दो संयोजक जिले में OBC और SC को एकजुट करेंगे, जिससे पिछड़ा और दलित समाज एक होगा.