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UP निकाय चुनाव: 3 जिलों में कड़े मुकाबले में फंसी बीजेपी, मेरठ और अलीगढ़ के लिए झोंकी ताकत!

सहारनपुर, आगरा और मुरादाबाद में वोटिंग हो चुकी है. लेकिन यहां बीजेपी कड़े मुकाबले में फंस गई है. वजह है मुस्लिम वोटों का बसपा या कांग्रेस के साथ एकमुश्त होकर चला जाना. इसको लेकर अब पार्टी ने मेरठ और अलीगढ़ के लिए ताकत झोंक दी है.

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उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री धर्मपाल सैनी ने कार्यकर्ताओं संग की बैठक
उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री धर्मपाल सैनी ने कार्यकर्ताओं संग की बैठक

आगरा, सहारनपुर और मुरादाबाद में कड़े मुकाबले में फंसी बीजेपी ने अब मेरठ और अलीगढ़ में ताकत झोंक दी है. पार्टी नहीं चाहती है मुस्लिम बहुल दोनों सीटें भी चुनाव में फंस जाएं. दरअसल, 10 नगर निगम के चुनाव हो चुके हैं, उसमें ऐसे मेयर की सीट है, जहां बीजेपी का यह चुनाव फंस गया है. सहारनपुर, आगरा और मुरादाबाद में वोटिंग हो चुकी है. लेकिन यहां बीजेपी कड़े मुकाबले में फंस गई है. वजह है मुस्लिम वोटों का बसपा या कांग्रेस के साथ एकमुश्त होकर चला जाना.

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सबसे ज्यादा चर्चा आगरा, सहारनपुर और मुरादाबाद की हो रही है. चुनाव पर नजर रखने वाले लोगों का मानना है कि आगरा में बसपा ने बाल्मीकि बिरादरी से अपना उम्मीदवार दिया और मुस्लिम-जाटों ने बसपा को अपना वोट दे दिया, वहीं वाल्मीकि बिरादरी का कैंडिडेट होने की वजह से वाल्मीकि समाज के लोगों ने भी बीजेपी को छोड़कर बसपा पर अपना दांव लगाया. ऐसे में आगरा का मुकाबला दिलचस्प हो गया है. कुछ लोगों का मानना है कि यह कांटे का मुकाबला हो चुका है. कुछ का मानना है कि बीजेपी जीत सकती है, लेकिन मुकाबला कड़ा है.

सहारनपुर में बीजेपी और बसपा की सीधी लड़ाई में इमरान मसूद के समर्थन में मुसलमानों के बड़े तबके ने वोट किया है. यहां मुस्लिम और दलित वोट निर्णायक माने जाते हैं और यह दोनों समीकरण एक साथ चुनाव में दिखाई दिए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि सहारनपुर का मुकाबला भी कड़ा होगा.

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वहीं सबसे दिलचस्प मुरादाबाद का चुनाव हो गया है. मुरादाबाद में इस बार मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को छोड़कर अपना ज्यादा दांव कांग्रेस पर लगा दिया है यानी मुस्लिम वोट सपा से ज्यादा कांग्रेस को गया है. जानकार कह रहे हैं कि इस बार यह मुकाबला सीधे-सीधे बीजेपी और कांग्रेस के बीच सिमट गया है. ऐसे में नतीजा कुछ भी हो सकता है. हालांकि बीजेपी नतीजों को लेकर निश्चिंत नजर आ रही है. लेकिन मुरादाबाद में अगर मुसलमान वोट कांग्रेस की तरफ गया है, यह कांग्रेस को संजीवनी मिलने जैसा है.

मेरठ और अलीगढ़ के लिए बीजेपी की तैयारी तेज
इन तीनों सीटों पर बीजेपी के खिलाफ दलित और मुसलमानों की गोलबंदी को देखते हुए बीजेपी ने दूसरे फेज की दो अहम सीटों मेरठ और अलीगढ़ के लिए अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. सभी बड़े नेता इस वक्त पश्चिम में सभाएं कर रहे हैं तो संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह मेरठ और अलीगढ़ पर सबसे ज्यादा फोकस करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

धर्मपाल सैनी ने संभाला मोर्चा

सुनील बंसल की जगह पर उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री बनाए गए धर्मपाल सिंह सैनी खुद पश्चिम से आते हैं और पश्चिम में ही बीजेपी को इस वक्त सबसे ज्यादा चैलेंज मिलता हुआ दिखाई दे रहा है. ऐसे में मेरठ और अलीगढ़ की संगठन की कमान खुद धर्मपाल सिंह ने संभाल ली है और हर हाल में मेरठ और अलीगढ़ को जिताने के लिए वह अपनी संगठन क्षमता का उपयोग कर रहे हैं. पिछली बार अलीगढ़ की सीट बसपा ने जीती थी लेकिन इस बार वह अपना संगठन कौशल दिखाना चाहते हैं.

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कार्यकर्ताओं को दिया मंत्र

मेरठ में रविवार को हुई बैठक में धर्मपाल सिंह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को  "अपना बूथ हों सबसे मज़बूत" का मंत्र दिया.  मतदान प्रतिशत में इजाफा हो, इसके लिए रणनीति तैयार की गई है. बूथ मैनेजमेंट पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश जारी किए गए गए हैं. साथ ही पन्ना प्रमुख को जिम्मेदारी सौंपी गई है. हर पन्ने पर दर्ज मतदाताओं को बूथ तक लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

बीजेपी के लिए बढ़ी मुश्किल

मेरठ की सभी नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के प्रभारियों और संयोजको के साथ बैठक हुई. मेरठ निकाय चुनाव में सभी सीटों को जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. दरअसल, बीजेपी इस चुनाव को अतीक़ प्रकरण के बाद आसान मान रही थी, लेकिन पहले फेज में बीजेपी को तब झटका लगा जब 10 में से 5 सीटों पर विपक्ष ने कड़ी टक्कर दे दी. यहां तक कि बसपा और सपा के अलावा कांग्रेस भी बीजेपी के सामने आकर खड़ी हो गई.

बसपा को मिल रहा मुस्लिमों का साथ

कई जगहों पर बसपा का मुस्लिम कार्ड नहीं चला लेकिन कई जगहों पर मुस्लिम और दलित कार्ड चलता हुआ दिखाई दे रहा है. पहले फेज में आगरा और सहारनपुर में मुसलमानों का बसपा की तरफ रुख करने का असर यह हुआ है कि बरेली में जहां चुनाव बीजेपी और सपा के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही थी, वहां उलेमाओं ने एक पत्र जारी कर मुसलमानों से बसपा को वोट करने की अपील की है.

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ऐसे में  बीएसपी का मुस्लिम कार्ड कई जगहों पर चलता दिखाई दे रहा है. जहां सपा कमजोर है, वहां मुसलमान बसपा या कांग्रेस का रूप करते दिखाई दे रहे. बीजेपी की पूरी रणनीति अपने संगठन पर टिकी है.सीएम  योगी आदित्यनाथ का धुआंधार चुनावी दौरा और राज्य की कानून व्यवस्था के मुद्दे के साथ-साथ संगठन के ज़रिए बीजेपी नगर निकाय चुनाव की वैतरणी पार करना चाहते हैं.

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