scorecardresearch
 

UP निकाय चुनाव: HC के फैसले पर बोले CM योगी- OBC आरक्षण देंगे, फिर चुनाव कराएंगे

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के लिए सरकार की ओर से जारी ओबीसी आरक्षण को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने रद्द कर दिया है. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करायेगी, फिर चुनाव कराएगी.

Advertisement
X
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (File Photo)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (File Photo)

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के लिए सरकार की ओर से जारी ओबीसी आरक्षण को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने रद्द कर दिया है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने तुरंत चुनाव कराने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट के इस फैसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करायेगी, फिर चुनाव कराएगी.

Advertisement

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करायेगी, इसके उपरान्त ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा, अगर जरूरी हुआ तो राज्य सरकार हाई कोर्ट के निर्णय के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सुप्रीम कोर्ट में अपील भी करेगी.'

वहीं, यूपी के नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने कहा, 'बिना ओबीसी आरक्षण यूपी में निकाय चुनाव नहीं होने देंगे, अगर जरूरत पड़ी तो हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे, प्रदेश की योगी सरकार ओबीसी आरक्षण के पक्ष में है, 5 दिसंबर की अधिसूचना में प्रदेश के ओबीसी को सभी पदों पर 27% का आरक्षण दिया गया था.'

HC ने 87 पेज का ऑर्डर दिया

Advertisement

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने ओबीसी आरक्षण को रद्द करते हुए जल्दी चुनाव कराने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो, तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा, सरकार या निर्वाचन आयोग बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवा सकता है. जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण से जुड़ी कुल 93 पिटीशन के सुनवाई करने के बाद 87 पेज में अपना आर्डर दिया है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने 87 पेज के फैसले में साफ कहा है कि सरकार ने 5 दिसंबर को निकाय चुनाव को लेकर जो आरक्षण सूची जारी की, उसे रद्द की जाती है और 12 दिसंबर को सरकार के द्वारा जो प्रशासक नियुक्त किए गए थे, उसे भी रद्द किया जाता है. यानी यूपी सरकार के दो फैसलों पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है.

क्या थी सरकार की दलील

निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए सरकार की तरफ से कहा गया कि उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए 22 मार्च 1993 को आयोग बनाया गया था, उसके आधार पर 2017 में भी निकाय चुनाव करवाए गए थे, जिस ट्रिपल टेस्ट की बात कही गई है उसका पालन करते हुए उत्तर प्रदेश में बैकवर्ड क्लास को आरक्षण देने के लिए डेडीकेटेड कमीशन बना हुआ है और उसके आधार पर ही आरक्षण दिया गया है, जो 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं है.

Advertisement

दलील पर HC ने दिया ये फैसला

इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के विकास किशन राव गवली केस में सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी को अलग से आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट को जरूरी कहा है. सरकार निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट करते हुए एक डेडीकेटेड कमीशन बनाकर ओबीसी को आरक्षण दे, समय पर निकाय चुनाव यह सरकार सुनिश्चित करें, बिना ट्रिपल टेस्ट की जिन सीटों पर ओबीसी को आरक्षण दिया गया है, उन्हें अनारक्षित माना जाए.

 

Advertisement
Advertisement