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93 पिटीशन, 87 पेज का ऑर्डर... नगर निकाय चुनाव को लेकर UP सरकार को HC से दो झटके

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने 87 पेज के फैसले में साफ कहा है कि सरकार ने 5 दिसंबर को निकाय को लेकर जो आदेश दिया, उसे रद्द की जाती है और 12 दिसंबर को सरकार के द्वारा जो प्रशासक नियुक्त किए जाते हैं, उसे भी रद्द किया जाता है. यानी यूपी सरकार के दो फैसलों पर रोक लग गई.

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उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव (सांकेतिक तस्वीर)
उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव (सांकेतिक तस्वीर)

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने रद्द कर दिया है. जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण से जुड़ी कुल 93 पिटीशन के सुनवाई करने के बाद 87 पेज में अपना आर्डर दिया है. इस ऑर्डर में यूपी सरकार को दो झटके लगे हैं.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने 87 पेज के फैसले में साफ कहा है कि सरकार ने 5 दिसंबर को नगर निकाय चुनाव को लेकर जो आरक्षण सूची जारी की गई थी, उसे रद्द की जाती है और 12 दिसंबर को सरकार के द्वारा जो प्रशासक नियुक्त किए गए थे, उसे भी रद्द किया जाता है. यानी यूपी सरकार के दो फैसलों पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है.

यूपी सरकार ने दी थी ये दलील

निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए सरकार की तरफ से कहा गया कि उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए 22 मार्च 1993 को आयोग बनाया गया था, उसके आधार पर 2017 में भी निकाय चुनाव करवाए गए थे, जिस ट्रिपल टेस्ट की बात कही गई है उसका पालन करते हुए उत्तर प्रदेश में बैकवर्ड क्लास को आरक्षण देने के लिए डेडीकेटेड कमीशन बना हुआ है और उसके आधार पर ही आरक्षण दिया गया है, जो 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं है.

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कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण रद्द किया

इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के विकास किशन राव गवली केस में सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी को अलग से आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट को जरूरी कहा है. सरकार निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट करते हुए एक डेडीकेटेड कमीशन बनाकर ओबीसी को आरक्षण दे, समय पर निकाय चुनाव यह सरकार सुनिश्चित करें, बिना ट्रिपल टेस्ट की जिन सीटों पर ओबीसी को आरक्षण दिया गया है, उन्हें अनारक्षित माना जाए.

तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का आदेश

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश दिया है कि जिस निर्वाचित निकाय का कार्यकाल खत्म हो रहा है, वहां चुनाव होने तक एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर निकाय के रोजमर्रा कामों को किया जाएगा, इस 3 सदस्य कमेटी में डीएम, नगर आयुक्त और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सदस्य होंगे.

 

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