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यूपी: जानलेवा हमले के मामले में बाहुबली विधायक अभय सिंह समेत 7 आरोपी बरी, 15 साल बाद आया फैसला

जानलेवा हमले के 15 साल पुराने मामले में सपा विधायक अभय सिंह समेत सभी 7 आरोपी बरी हो गए हैं. जस्टिस राजन राय की सिंगल बेंच ने सपा विधायक अभय सिंह को बरी किया है.

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सपा के बागी विधायक अभय सिंह बरी
सपा के बागी विधायक अभय सिंह बरी

UP News: जानलेवा हमले के 15 साल पुराने मामले में सपा विधायक अभय सिंह समेत सभी 7 आरोपी बरी हो गए हैं. जस्टिस राजन राय की सिंगल बेंच ने सपा विधायक अभय सिंह को बरी किया है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस राजन राय की बेंच ने फैसला सुनाया है. 

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दिसंबर 2024 में हाईकोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस एआर मसूदी ने अभय सिंह समेत पांच आरोपियों को 3 साल की सजा सुनाई थी. वहीं, बेंच के दूसरे जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने अभय सिंह समेत सभी आरोपियों को बरी किया था. 

हाईकोर्ट के डबल बेंच के इस अजीबोगरीब फैसले पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने राजन राय की बेंच को केस ट्रांसफर किया था. बीती फरवरी को जस्टिस राजन राय ने केस पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज उन्होंने अपना फैसला सुनाया है. 

आपको बता दें कि 15 मई 2010 को अयोध्या के रहने वाले विकास सिंह ने जानलेवा हमले का केस दर्ज कराया था. वर्तमान में विकास को NIA के द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है. एमपी एमएलए कोर्ट ने ट्रायल के बाद अभय सिंह और उनके साथियों को बरी किया तो हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी गई थी.  

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जानिए पूरा मामला 

उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी. तारीख 15 मई 2010. जगह अयोध्या के महाराजगंज का इलाका. रात करीब 8:30 बजे देवगढ़ के रहने वाले विकास सिंह उर्फ विकास देवगढ़ फैजाबाद से स्कॉर्पियो से अपने तीन अन्य साथियों के साथ लौट रहे थे. स्कॉर्पियो को धर्मेंद्र सिंह चला रहे थे, जबकि विकास देवगढ़ के चचेरे भाई वंश बहादुर सिंह और अजीत प्रताप सिंह स्कॉर्पियो में बैठे थे. 

मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, जैसे ही विकास सिंह अपनी स्कॉर्पियो से सरायराशि में माईजी मंदिर के पास पहुंचे तभी UP 32 CA 9473 नंबर की काले रंग की सफारी ने ओवरटेक किया और सफारी से उतरकर अभय सिंह, रमाकांत यादव और रविकांत यादव ने विकास की स्कॉर्पियो पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी. 

घटना के बाद विकास सिंह ने उसी दिन 15 मई 2010 को रात 9:35 पर, महाराजगंज थाने में क्राइम नंबर 555 /2010 U/S 147/ 149 /504 /506 307 और 27 आर्म्स एक्ट में रमाकांत यादव /रविकांत यादव/ अभय सिंह /संदीप सिंह उर्फ पप्पू सिंह/ शंभू नाथ सिंह उर्फ दीपू सिंह/ गिरीश पांडे उर्फ दीपुल पांडे और विजय गुप्ता पर नामजद एफआईआर दर्ज करवाई. 

मामला सियासी अदावत, उठापटक और कानूनी दांव पेंच का बन गया था. इसी बीच पुलिस में जांच की और सभी सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी. चार्जशीट दाखिल हुई तो अयोध्या की एमपी एमएलए कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ लेकिन इसी बीच आरोपी शंभूनाथ सिंह ने साल 2022 में ट्रायल उत्तर प्रदेश के किसी अन्य जिले में कराने के लिए अपील दाखिल कर दी. अपील दाखिल होते ही फैजाबाद कोर्ट में चल रहा ट्रायल रुक गया. मामला हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में गया जिसने 20 जनवरी 2023 केस का ट्रायल अंबेडकर नगर  की एमपी/एमएलए कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया साथ ही 6 महीने में ट्रायल पूरा कर फैसला देने का आदेश भी दिया. अंबेडकर नगर की एमपी, एमएलए कोर्ट ने 10 मई 2023 को सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया. 

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इसी बीच जून 2023 में विकास देवगढ़ को NIA ने एक अन्य मामले में जेल भेज दिया, लेकिन अंबेडकर नगर एमपी एमएलए कोर्ट केस फैसले के खिलाफ विकास सिंह ने हाइकोर्ट में अपील कर दी. हाईकोर्ट में जस्टिस राजन राय और अजय कुमार श्रीवास्तव की डबल बेंच ने विकास देवगढ़ की अपील को 4 अक्टूबर 2023 को स्वीकार कर लिया और सभी आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी कर दिए. 

लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल हुई अपील पर सुनवाई करते हुए 28 अगस्त 2024 को हाई कोर्ट की डबल बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था. जिस पर 4 महीने बाद 20 दिसंबर 2024 को हाई कोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस एआर मसूदी ने जहां दो आरोपियों गिरीश पांडे और विजय गुप्ता को बरी किया लेकिन बाहुबली विधायक अभय सिंह समेत सभी पांच आरोपियों को 3 साल की सजा और ₹5000 जुर्माना लगाया. वहीं, जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने अपील खारिज करते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया. 

क्यों आया था एक ही मामले में दो जज का अलग-अलग फैसला 

हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के द्वारा इस मामले में दो अलग-अलग फैसले दिए गए. जस्टिस एआर मसूदी ने जहां पुलिस की चार्जशीट में दिए गए सबूत गवाहों के बयान और विकास सिंह की स्कॉर्पियो की एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर अभय सिंह, रविकांत यादव, रमाकांत यादव, संदीप सिंह और शंभू नाथ सिंह को तीन-तीन साल की सजा और 55000 जुर्माना लगाया. वहीं, दूसरी तरफ नामजद आरोपी गिरीश पांडे और विजय कुमार गुप्ता पर आरोप साबित न होने के चलते बरी कर दिया. 

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वहीं, जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने अपने फैसले में विकास सिंह की अपील को खारिज करते हुए आरोपियों को बरी कर दिया, जो तथ्य पुलिस अपनी विवेचना में साबित नहीं कर पाई, उसमें विकास की स्कॉर्पियो की जब्ती कार्रवाई बड़ी वजह बनी. विकास सिंह जिस स्कॉर्पियो UP 42 M 4140 से 15 मई 2010 को घटना के वक्त सवार थे, उस पर दाहिनी तरफ छह गोली लगने के निशान थे. पुलिस ने भी फोरेंसिक और टेक्निकल रिपोर्ट के जरिए साबित किया कि गाड़ी पर दाहिने तरफ हुए छेद गोली लगने से हुए हैं यानी गाड़ी पर गोली चली. 
लेकिन 15 मई की हुई इस घटना में विकास सिंह की इस स्कॉर्पियो का मौके से सीजर नहीं बनाया गया. गाड़ी के जब्त होने का जो मेमो बना वो घटना के 25 दिन बाद 10 जून 2010 को सिपाही कम्मा लाल ने बनाया. लेकिन 10 जून को फॉरेंसिक जांच के लिए ली गई स्कॉर्पियो 15 जून 2010 को एफएसएल के पास ले जाएगी. 5 दिन तक माल मुकदमाती, घटना का सबूत, स्कॉर्पियो, एक सिपाही के पास क्या करती रही इसकी ना तो पुलिस ने कोई जांच की और ना ही प्रॉसीक्यूशन इसकी वजह बता पाया. 

दर्ज कराई गई एफआईआर में लिखा गया कि हत्या की नीयत से स्कॉर्पियो पर गोली चलाई गई लेकिन स्कॉर्पियो में बैठे चार लोगों में किसी को फायर आर्म इंजरी नहीं पाई गई. वादी विकास सिंह को जो चोट आई तो वह अचानक गाड़ी के जर्क लगने से तेज भागने की वजह से आई थी. हालांकि, उसी दिन इलाज के लिए विकास सिंह को पहले सीएचसी ले जाया गया और सीएचसी से जिला अस्पताल रेफर किया गया जहां वह तीन दिन भर्ती भी रहे. विकास सिंह की स्कॉर्पियो पर फायरिंग करने का आरोप तीन लोगों पर लगा लेकिन अभय सिंह, रविकांत यादव और रमाकांत यादव को किसी ने गोली चलाते नहीं देखा. खुद विकास सिंह ने कहा  गोली चलने की आवाज सुनकर गाड़ी के नीचे झुक गया था. 

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मौके से पुलिस को कोई कारतूस या खोखा भी बरामद नहीं हुआ

दूसरी तरफ पुलिस ने विवेचना में इस केस की जांच करने वाले एसएचओ महाराजगंज संजय नागवंशी, सीओ दिनेश चंद्र मिश्रा और दूसरे जांच अधिकारी किसी से भी ट्रायल के दौरान ना तो यह पूछा गया की वादी की स्कॉर्पियो उसी दिन सीज क्यों नहीं की गई और सीजर मेमो 25 दिन बाद क्यों दिया गया. विकास सिंह ने खुद बयान दिया कि गाड़ी धर्मेंद्र सिंह चला रहा था और धर्मेंद्र सिंह ट्रायल के दौरान बयान से पलट गया. अब इस मामले में हाई कोर्ट की जस्टिस राजन राय की सिंगल बेंच ने अभय सिंह समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. 

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