उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक प्राइवेट अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां डिलीवरी कराने आई महिला के ऑपरेशन के दौरान बच्चेदानी के साथ-साथ पेशाब नली में भी टांका लगा दिया गया. उसके बाद इलाज के नाम पर आठ दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखा गया. जब तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उसे गोरखपुर रेफर कर दिया गया है.
डॉक्टरों ने बताया कि महिला की बच्चेदानी के साथ पेशाब नली को भी सिल दिया गया है. महिला की हालत ज्यादा बिगड़ गई है. उसकी किडनी भी खराब हो गई है, जिसकी वजह से डायलिसिस कराना पड़ रहा है. महिला के ससुर ने डीएम और सीएमओ को पत्र लिखा है, जिसमें डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है. वहीं शिकायत मिलने के बाद सीएमओ ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं.
इस पूरे मामले पर पथरदेवा के MOIC डाक्टर प्रभात रंजन ने आजतक से फोन पर हुई बातचीत में बताया कि पीड़ित द्वारा सीएमओ दफ्तर और IGRS पोर्टल पर शिकायत की गई है. इसमें सीएमओ डाक्टर राजेश झा के निर्देश पर नोडल डिप्टी सीएमओ डॉक्टर आरपी यादव के नेतृत्व में टीम गठित हुई है. अस्पताल के कागजात देखे जा रहे हैं और डॉक्टर्स की डिग्री चेक की जा रही है. उन्होंने बताया कि ये अस्पताल पहले भी सील किया जा चुका है. पथरदेवा कस्बे में बना ये अस्पताल काफी समय से चल रहा है और इसमें कई मरीजों की जान जा चुकी है. जिसके बाद इस पर एक्शन भी लिया गया है, लेकिन ये फिर कैसे शुरू हो गया.
गौरतलब है कि देवरिया के बघौचघाट थाना इलाके के मुंडेरा गांव के रहने वाले राम सागर पटेल की बहू गर्भवती थी. 19 जनवरी को अचानक पेट में दर्द हुआ तो वे पथरदेवा कस्बे के एक प्राइवेट अस्पताल लेकर गए, जहां मरीज को भर्ती कर दिया गया और यहां के मेडिकल स्टाफ द्वारा बताया गया कि बच्चा नार्मल नही पैदा हो पाएगा. ऑपरेशन करना होगा. जिसके बाद ऑपरेशन किया गया, जिससे एक बच्ची पैदा हुई, लेकिन उनकी बहू की तबीयत बिगड़ने लगी.
मरीज को पेशाब आनी बंद हो गई, उसे 8 दिन तक अस्पताल में ही रखा गया. इलाज में 50 हजार रुपये खर्च हो गए, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो अस्पताल की ओर से महिला को गोरखपुर रेफर करने के लिए कहा गया. पीड़ित राम सागर ने बताया कि फिर कुशीनगर के कसया में इलाज कराया और फिर गोरखपुर में भी इलाज कराए, लेकिन बहू की तबीयत बिगड़ती ही गई.