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यूपी पुलिस के वो तीन 'हथियार', जिनके बल पर Mahakumbh में 64 करोड़ श्रद्धालुओं को नियंत्रित किया

महाकुंभ में 64 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने सिर्फ लाउडस्पीकर, रस्सी और बैरिकेडिंग का सहारा लिया. जहां जरूरत पड़ी, पुलिस ने कड़े नियम लागू किए, वहीं श्रद्धालुओं के लिए उनका व्यवहार सहज और सहयोगी बना रहा. दिन-रात तैनात जवानों ने पूरे आयोजन को सुचारू रूप से संचालित किया.

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महाकुंभ 2025
महाकुंभ 2025

उत्तर प्रदेश पुलिस को अक्सर डंडा और पिस्टल के साथ देखा जाता है, उसने इस बार महाकुंभ में उमड़ी 64 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ को सिर्फ तीन हथियारों लाउडस्पीकर, रस्सी और बैरिकेडिंग से नियंत्रित किया.

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महाकुंभ में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए पुलिस जवानों ने चौराहों और घाटों पर लाउडस्पीकर के जरिए निर्देश दिए. सड़कों और स्नान घाटों पर रस्सी से मार्ग बनाए गए, ताकि भीड़ बेकाबू न हो. जहां जरूरत पड़ी, पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रास्तों को नियंत्रित किया और जाम की स्थिति बनने से पहले ही व्यवस्था संभाली.

उत्तर प्रदेश पुलिस का यह रूप देखने लायक 

सज्जनों के लिए सहयोगी रवैया, लेकिन जो नियम तोड़ने की कोशिश करे, उसके लिए सख्ती.

ट्रैफिक नियंत्रण के लिए लाउडस्पीकर से विनम्रता से निर्देश देना, लेकिन नियमों का उल्लंघन करने वालों को सावधान करना.

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जवान दिन-रात रस्सी लेकर खड़े रहे.जब इशारा हुआ, रस्सी गिरा दी गई, और जब जरूरत पड़ी, रस्सी तान दी गई.

श्रद्धालुओं का मिला साथ

इस व्यवस्था की श्रद्धालुओं ने भी सराहना की. पुलिस के जवान जहां श्रद्धालुओं को सही रास्ता दिखा रहे थे, वहीं जरूरत पड़ने पर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों की मदद भी कर रहे थे.

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उत्तर प्रदेश पुलिस की नई पहचान

जिस पुलिस के नाम से कभी अपराधी इलाके छोड़कर भागते थे, वही पुलिस कुंभ में श्रद्धालुओं के साथ विनम्रता से पेश आई. महाकुंभ की व्यवस्थित और अनुशासित भीड़ प्रबंधन की वजह से उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली की हर तरफ तारीफ हो रही है.

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