उत्तर प्रदेश पुलिस का अगला मुखिया कौन होगा... एक बार फिर इसकी चर्चा तेज हो गई है. इसके पीछे वजह ये है कि कार्यवाहक डीजीपी आरके विश्वकर्मा मंगलवार को रिटायर हो जाएंगे. उनके बाद किसको यूपी पुलिस का चार्ज दिया जाएगा? क्या सरकार इस बार पूर्णकालिक डीजीपी की तैनाती करेगी? या तीसरी बार भी कार्यवाहक ही पुलिस का मुखिया बनेगा.
दरअसल, 11 मई 2022 को सरकार ने पूर्णकालिक डीजीपी मुकुल गोयल को अचानक हटा दिया था. इसके बाद से अभी तक देश के सबसे बड़े राज्य की पुलिस को उसका पूर्णकालिक डीजी नहीं मिल पाया है. गोयल के बाद सरकार ने डीजी इंटेलिजेंस डीएस चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया था.
30 मई को रिटायर हो जाएंगे आरके विश्वकर्मा
फिर 31 मार्च 2023 को चौहान के रिटायरमेंट के बाद डीजी पुलिस भर्ती बोर्ड आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजीपी बनाया. अब विश्वकर्मा 30 मई को रिटायर हो जाएंगे. उनके बाद यूपी पुलिस में एक बार फिर डीजी की रेस तेज हो गई है. चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया है कि क्या यूपी पुलिस को फिर कार्यवाहक डीजीपी ही मिलेगा या पूर्णकालिक डीजीपी की तैनाती होगी.
3 आईपीएस अधिकारी लिस्ट में सबसे ऊपर
डीजीपी की कुर्सी के दावेदारों की बात करें तो मौजूदा समय में 3 आईपीएस अधिकारी लिस्ट में सबसे ऊपर हैं. इनके पास 6 महीने से अधिक का कार्यकाल बचा हुआ है. नियमानुसार उसी व्यक्ति को पूर्णकालिक डीजीपी बनाया जा सकता है जिसके रिटायरमेंट में 6 महीने का वक्त बचा हो. ऐसे में मुकुल गोयल का नाम सबसे ऊपर है. उनके पास फरवरी 2024 तक का वक्त है.
1988 बैच के IPS अधिकारी हैं विजय कुमार
दूसरे नंबर पर 1988 बैच के आईपीएस और डीजी कोऑपरेटिव सेल आनंद कुमार का नाम है, जिनका अप्रैल 2024 में रिटायरमेंट होना है. तीसरे नंबर पर 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी विजय कुमार हैं. विजय जनवरी 2024 में रिटायर होंगे. वो वर्तमान में डीजी सीबीसीआईडी हैं और उनके पास विजिलेंस का अतिरिक्त प्रभार है.
इस वजह से कार्यवाहक डीजीपी मिलने की संभावना
जानकारी के अनुसार, अब तक डीजीपी के लिए न तो पैनल भेजा गया है और न ही वर्तमान में कार्यवाहक डीजीपी आरके विश्वकर्मा के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से कोई प्रस्ताव भेजा गया है. ऐसे में एक बार फिर कार्यवाहक डीजीपी की ही संभावना अधिक नजर आती है. कार्यवाहक डीजीपी में इन तीनों में मुकुल गोयल को सरकार ने उनकी कार्यप्रणाली से नाराज होकर ही डीजीपी पद से हटाया था.
महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं आनंद कुमार
इसके बाद नाम आता है आनंद कुमार का, जो कि सरकार की पसंद हो सकते हैं. मगर यहां भी एक पेंच फंसता दिख रहा है. वो ये है कि आनंद आईपीएस लॉबी के समीकरण में अनफिट बैठते दिखते हैं. दरअसल, आनंद और स्पेशल डीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार श्रीवास्तव बिरादरी से आते हैं. सरकार अगर आनंद कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बनाती है तो स्पेशल डीजी लॉ आर्डर प्रशांत कुमार को बदलना पड़ेगा, ऐसा सरकार करने के मूड में बिल्कुल नहीं है.
दूसरी तरफ सरकार अगर अपने कार्यकाल के मुफीद अधिकारी के तौर पर देखेगी तो आनंद उस पैमाने पर सबसे फिट हैं. आनंद लंबे समय तक एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और डीजी जेल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था व अपराध नियंत्रण को बखूबी समझने वाले काबिल अफसर माने जाते हैं.
विजय की पैरवी करने में लगा है एक मजबूत धड़ा
तीसरा नाम विजय कुमार का है वो दलित हैं. लिहाजा लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के लिए जातिगत समीकरण के आधार पर भी विजय कुमार मुफीद होंगे. साथ ही अफसरों का एक मजबूत धड़ा विजय की पैरवी करने में भी लगा है. चर्चा किसी के भी नाम की हो डीजीपी की कुर्सी पर कोई भी बैठे, लेकिन इतना तो तय माना जा रहा है कि 1 साल बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस को पूर्णकालिक डीजीपी मिलने की संभावना कम ही है.