राजभवन में 5 साल पूरे होने पर यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल पहली बार प्रेस से मुखातिब हुईं. इस दौरान उन्होंने प्रदेश में महिला सुरक्षा से लेकर महिलाओं की भागीदारी, सर्वाइकल कैंसर के टीकाकरण और औरतों के Menopause की परेशानियों तक पर बात की.
पिछले 5 सालों में आनंदीबेन पटेल की प्राथमिकताओं में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ आंगनवाड़ी में बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य की गुणवत्ता सबसे ऊपर रहा. उत्तर प्रदेश के कॉलेज और यूनिवर्सिटी की गणवत्ता कैसे बढी है और किस तरीके से NAAC की रैंकिंग में प्रदेश के कई विश्वविद्यालय और कॉलेजों ने लंबी छलांग लगाई है, राज्यपाल ने इन उपलब्धियों की भी चर्चा की.
छोटी बच्चियों से लेकर महिलाओं के स्वास्थ्य की चिंता को लेकर वो कितनी गंभीर हैं, इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो सर्वाइकल कैंसर का टीका पढ़े-लिखे या पैसे वाले परिवारों तक ही सीमित था, उसे आनंदीबेन पटेल ने गरीब लड़कियों तक मुफ़्त पहुंचाना शुरू कर दिया है. CSR और अन्य फंड की मदद से 8 से 14 साल तक की बच्चियों और खासकर गरीब तबके के बच्चियों तक सर्वाइकल कैंसर का यह टीकाकरण पहुंचने लगा है.
इस मुहिम की शुरुआत उनके अपने प्रयासों से हुई है और धीरे-धीरे यह टीकाकरण जोर पकड़ने लगा है. यह एक आउट ऑफ बॉक्स आईडिया है जो शायद ही कहीं दिखता हो.
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण, औरतों का स्वास्थ्य और छोटे बच्चों से लेकर उच्च शिक्षा तक की गुणवत्ता सबसे अहम है.
लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत में आनंदीबेन पटेल ने कहा कि अगर महिलाएं जो की आधी आबादी है अगर वह घरों में रहेगी तो यह देश कैसे सशक्त बनेगा इसलिए महिला सशक्तिकरण सबसे जरूरी है.
उत्तर प्रदेश के बारे में कही ये बात
उत्तर प्रदेश के बारे में पूछे जाने पर आनंदीबेन पटेल का कहना था कि जब वह मुख्यमंत्री थीं तब यूपी के बारे में सुना करती थी कि यहां शाम 5 बजे के बाद लड़कियां घरों से बाहर नहीं निकलती क्योंकि कानून व्यवस्था वैसी थी. लेकिन अब काफी कुछ बदल गया है, महिलाएं अब इस प्रदेश में सुरक्षित महसूस करती हैं. हालांकि अब भी प्रदेश सौ फीसदी सुरक्षित नहीं है लेकिन हालात पहले से काफी बेहतर हैं और तेजी से बेहतर हो रहे हैं.
जब वो गुजरात की मुख्यमंत्री थीं तो आनंदीबेन पटेल बेहद कड़क मुख्यमंत्री मानी जाती रही हैं और राज्यपाल बनने के बाद भी उनके स्वभाव में यह दिखाई देता है. हाल ही में सीतापुर में उन्होंने अधिकारियों की खूब क्लास लगाई थी, उनके इस कड़क स्वभाव के बारे में पूछे जाने पर आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वह एक शिक्षिका रही हैं और शिक्षिका के नाते यह स्वभाव उनमें निहित है.
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मिलने आने वालों से वह महंगे बुके या मूर्तियां या मोमेंटो लाने को हतोत्साहित करती हैं, वह इस इसके बदले बच्चों की किताबें लाने को प्रोत्साहित करती हैं.
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वह राज्य सरकार के योजनाओं की समीक्षा नहीं करती लेकिन केंद्र सरकार की उन योजनाओं पर अपनी नजर जरूर रखती हैं जो बच्चों महिलाओं या शिक्षा से जुड़ी होती हैं और उन योजनाओं की समीक्षा व अपने स्तर से करती रहती हैं.