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UP: राज्यसभा चुनाव से पहले CM योगी की डिनर पॉलिटिक्स, जानिए आठवीं सीट के लिए NDA में क्या बन रहे समीकरण

यूपी में राज्यसभा की आठवीं सीट पर पेच फंस गया है. राज्य की 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है, लेकिन इसमें से एक सीट बुरी तरह से फंस गई है. एक तरफ अखिलेश यादव इस सीट के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी कोई मौका छोड़ने के मूड में नहीं है.

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अखिलेश यादव/योगी आदित्यनाथ (File Photo)
अखिलेश यादव/योगी आदित्यनाथ (File Photo)

उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. इनमें से 9 सीटों को लेकर तो स्थिति स्पष्ट है, लेकिन 10वीं सीट पर सस्पेंस कायम है. समाजवादी पार्टी के UPA गठबंधन से लेकर बीजेपी के NDA गठबंधन तक पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस सीट पर काबिज होना चाहते हैं.

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अब देखना यह है कि कौन इस सीट को हासिल करने में कामयाब होता है. चुनावी उठापटक के बीच आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ NDA के सभी विधायकों को डिनर पर बुलाया है. एनडीए के सभी विधायक रात 8 बजे लोक भवन में मुख्यमंत्री के डिनर में शामिल होंगे. इस बीच राजा भैया ने बीजेपी के साथ जाने का ऐलान कर दिया है.

NDA में क्या बन रहे समीकरण

योगी के डिनर के बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चीफ ओमप्रकाश राजभर ने दावा किया है कि गायत्री प्रजापति की पत्नी और बसपा से बीजेपी में शामिल हुए रितेश पांडे के पिता राकेश पांडे भी NDA को वोट देंगे. आइए आपको बताते हैं कि राज्यसभा चुनाव से पहले NDA में आखिर क्या समीकरण बन रहे हैं.

आठवीं सीट को लेकर फंसा पेच

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बता दें कि यूपी की 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. पहले बीजेपी की 7 और सपा की 3 सीटों पर जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन सत्ताधारी दल के आठवां उम्मीदवार उतार देने और पिछले कुछ दिनों में बदले सियासी समीकरणों से एक सीट की लड़ाई रोचक हो गई है.

बीजेपी के पास अब भी 8 वोट कम

बता दें कि 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा की स्ट्रेंथ इस समय 399 है. चार सीटें खाली हैं. यहां राज्यसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में एक उम्मीदवार की जीत के लिए प्रथम वरीयता के 37 वोट की जरूरत पड़ेगी. यहां बीजेपी को अपने सभी 8 उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए 296 विधायकों के प्रथम वरीयता के वोट की जरूरत है. बीजेपी, आरएलडी, सुभासपा, अपना दल, निषाद पार्टी, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक समेत एनडीए के सभी घटक दलों की स्ट्रेंथ देखें तो 288 पहुंचती है जो जरूरी संख्याबल से 8 कम है.

इरफान सोलंकी नहीं डाल पाएंगे वोट

दूसरी तरफ, सपा को अपने तीनों उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए 111 विधायकों के प्रथम वरीयता के वोट चाहिए होंगे. सपा 108 विधायक हैं जिनमें से एक विधायक इरफान सोलंकी जेल में बंद हैं और वोट नहीं डाल सकेंगे. अब सपा की अपनी स्ट्रेंथ 107 विधायकों की ही रह गई. बसपा छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके राकेश पांडेय किसके पक्ष में वोट करते हैं, इसे लेकर भी सस्पेंस है. अब यह मान लें कि राकेश पांडेय भी सपा के पक्ष में ही वोट करेंगे तो कांग्रेस के दो विधायकों को मिलाकर भी सपा 109 के आंकड़े तक ही पहुंच रही है.

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राजा भैया ने खोले दिए अपने पत्ते

ऐसे में राजा भैया का रुख महत्वपूर्ण था. राजा भैया ने राज्यसभा चुनाव को लेकर अपने पत्ते खोले दिए हैं. अगर राजा भैया समेत उनकी पार्टी के दोनों विधायक सपा उम्मीदवार को वोट करते तो पार्टी तीनों सीटें जीत जाती. लेकिन राजा भैया ने बीजेपी के साथ जाने का ऐलान किया है. ऐसे में सपा उम्मीदवार के पक्ष में प्रथम वरीयता के अधिक वोट होने के बावजूद बात दूसरी वरीयता के वोट पर जाएगी और यहां बीजेपी का पलड़ा भारी है.

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