जैसे ही तकनीक आगे बढ़ती जा रही है, वैसे ही उसका दुरुपयोग ठगी के लिए बढ़ता जा रहा है. एक ऐसे ही मामले कानपुर देहात में सामने आया है. यूपी एसटीएफ ने प्राइवेट डाटा का इस्तेमाल कर प्रधानमंत्री आवास विकास योजना के अंतर्गत घर दिलाने का झांसा देकर सैकड़ों लोगों से ठगी करने वाले गिरोह भंडाफोड़ किया है.
दरअसल, जनवरी में प्रधानमंत्री कार्यलय द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर ठगी को लेकर एसटीएफ को निर्देश दिए थे. इसके बाद एसटीएफ ने जांच की और अपनी सर्विलेंस टीम की मदद से इस गैंग को कानपुर देहात में ट्रेस किया.
टेक्निकल टीम और मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर एसटीएफ ने 31 मई को राजेन्द्रा फैक्ट्री चौराहा रनिया कानपुर देहात से राजेश सिंह उर्फ चीता (मास्टरमाइंड) और अनिल सिंह उर्फ प्रदीप मिश्रा को गिरफ्तार किया था.
एसटीएफ ने इन आरोपियों से 5 फर्जी वोटर आईडी, 4 आधार कार्ड, 3 एटीएम कार्ड, 1 पैन कार्ड, 2 पास बुक, 1 सिमकार्ड और 9 अलग-अलग तरह के दस्तावेज बरामद किए थे.
ऐसे करते थे ठगी
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ये किसी सीरीज के नंबर पर कॉल करके लोगों को यह बताते थे कि ये सचिवालय लखनऊ के प्रधानमंत्री आवास योजना के सक्षम अधिकारी बोल रहे हैं. इसके बाद आम लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फार्म भरने की जानकारी लेते. जो हां कर देता, उसको विश्वास कराने के लिए उसका आधार कार्ड का नम्बर लेकर विभिन्न मोबाइल और अन्य माध्यम से उनकी व्यक्तिगत जानकारी/पारिवारिक विवरण उसको बताया जाता था.
फीस के नाम पर वसूलते थे 3 से पांच हजार रुपये
इसके बाद आरोपी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर देने के नाम पर 3 लाख 25 हजार रुपये पास होने की बात कहते. इसके लिए लोगों से फीस के नाम पर 3 से 5 हजार रुपये जमा कराने को कहते. झांसे में आकर लोग पैसे ट्रांसफर भी कर देते. पैसा आने के बाद मोनू सिंह नाम के आरोपी द्वारा विभिन्न एटीएम के माध्यम से इसे निकाल लिया जाता और फिर आपस में पैसे को बांट लिया जाता था.
मास्टरमाइंड 18 महीने रह चुका जेल में
अभियुक्त राजेश सिंह ने पूछताछ में यह भी बताया कि वह पूर्व में वर्ष 2020 में थाना बर्रा कानपुर नगर में हुए संजीत यादव अपहरण व हत्याकांड, जिसकी विवेचना सीबीआई में चल रही है के अभियोग में 18 महीने जेल में रहा है. वह अक्टूबर-2022 में जमानत पर छूटकर आया, तब से इसी तरह लोगों से ठगी कर रहा था.