उत्तर प्रदेश में कल से शुरू होने वाले राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान पहली बार विधायकों को सदन के अंदर मोबाइल फोन, झंडे-बैनर ले जाने की अनुमति नहीं होगी. 66 साल में पहली बार इन बदलावों को पिछले विधानसभा सत्र में मंजूरी दी गई थी. समाजवादी पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने सदन में मोबाइल फोन और बैनर पर प्रतिबंध लगाने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के सामने उठाएंगे.
इस पर बीजेपी ने बसपा और कांग्रेस पर निशना साधा है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ओछी राजनीति कर रही हैं. अगर बड़ा कार्यालय चाहिए तो जमीन पर उतरें, सीट जीतें CAA से परेशानी है, उसे होती रहे. देश के लिए जो सही होगा, वहीं किया जाएगा.
बसपा और कांग्रेस का कार्यालय खत्म
बीजेपी और बसपा-कांग्रेस के बीच जारी वार-पलटवार के बीच विधान भवन में बसपा और कांग्रेस के कार्यालय कक्ष खत्म कर दिए गए हैं. इसके बदले में उन्हें केबिन अलॉट किए गए हैं. दरअसल, कांग्रेस विधान मंडल का दफ्तर तोड़कर सपा विधान मंडल दफ्तर में मिला दिया गया है. सपा को सदस्य संख्या के हिसाब से बड़ा कार्यालय आवंटित किया गया है.
समपा के मुख्य सचेतक ने बताया कारण
समाजवादी पार्टी विधान सभा मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने बताया कि बसपा और कांग्रेस के विधायक कम हैं, इसलिए यह कक्ष सपा में जोड़े गए हैं. सपा का कक्ष दिखाते हुए बताया सपा की ओर से विधानसभा और विधान परिषद में उनकी सदस्य संख्या को देखते हुए विधानसभा में बड़ा कक्ष आवंटित करने की मांग की गई थी. सपा की मांग पर विधानसभा सचिवालय ने कांग्रेस के कार्यालय को अब सपा कार्यालय से जोड़ दिया गया है. बसपा का दफ्तर भी वापस ले लिया गया है.
BSP का 1, कांग्रेस के 2 विधायक
बसपा का मात्र एक और कांग्रेस के दो विधायक हैं. इसलिए उन्हें केबिन दिया गया है. कांग्रेस के केबिन में मौजूद दफ्तर के लोगों ने बताया कि यह केबिन इतना छोटा है कि यहां पर उनके नेताओं की तस्वीर भी नहीं लगाई जा सकती और वॉशरूम की व्यवस्था भी नहीं है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस और बसपा कार्यालय की मांग कर सकते हैं. हालांकि, विधान सभा प्रमुख सचिव, प्रदीब दुबे के मुताबिक बसपा और कांग्रेस से फिलहाल उनके कक्ष लिए गए हैं, दोनो दलों के लिए नया कक्ष आवंटित किया जायेगा. कई कक्षों में रिनोवेशन चल रहा है.