
तकनीक और क्विक रिस्पांस के सहारे उत्तर प्रदेश पुलिस बीते एक साल से लोगों की जिंदगी बचाने का भी काम कर रही है. सोशल मीडिया पर सुसाइड की पोस्ट लिख कर जान देने की कोशिश करने वाले ऐसे 92 लोगों को उत्तर प्रदेश पुलिस बीते एक साल में बचा चुकी है. आने वाले समय में यूपी पुलिस अब यूनिसेफ (UNICEF) के सहारे आत्महत्या की कोशिश करने वालों की काउंसलिंग भी शुरू करने जा रही है.
जानकारी के मुताबिक, बीते सप्ताह उत्तर प्रदेश पुलिस के सोशल मीडिया सेल पर रात 8:48 मिनट पर फेसबुक और इंस्टाग्राम को चलाने वाली मेटा कंपनी के हेड क्वार्टर से अचानक अलर्ट मेल आया. अलर्ट मेल में कहा गया कि हमीरपुर के मौदहा के इचौली इलाके से गुजर रही रेलवे क्रॉसिंग पर एक युवक रेलवे ट्रैक पर लेटा है और वह जान देने वाला है.
सात समंदर पार meta कंपनी के हेडक्वार्टर से मिले इस अलर्ट पर डीजीपी हेड क्वॉर्टर की सोशल मीडिया टीम अलर्ट की गई. सोशल मीडिया टीम के प्रभारी राहुल श्रीवास्तव को इसकी जानकारी दी गई. मेटा कंपनी की तरफ से भेजी गई लोकेशन पर उत्तर प्रदेश पुलिस की 112 और इचौली पुलिस को लोकेशन के आधार पर भेजा गया और रेलवे लाइन पर जान देने के लिए लेटे 18 वर्षीय लड़के को बचाया गया.
बता दें, आत्महत्या की कोशिश करने वाले नौजवान को बचाने का यह पहला मामला नहीं है. बीते मार्च 2022 से उत्तर प्रदेश पुलिस प्रदेश भर में ऐसे 92 लोगों को जान देने से बचा चुकी है. ये वो लोग है जिन्होंने अपनी जान देने से पहले फेसबुक पर इंस्टाग्राम पर सुसाइड का ऐलान किया, पोस्ट डाली और उस पोस्ट के सहारे उत्तर प्रदेश पुलिस इन तक पहुंची और समय रहते लोगों की जान बचा ली.
मंगलवार को इस नौजवान की जान बचाने वाली हमीरपुर पुलिस और पुलिस हेड क्वार्टर की सोशल मीडिया टीम प्रभारी राहुल श्रीवास्तव व उनकी टीम को डीजीपी ने सम्मानित किया है.
खुदकुशी से संबंधित कीवर्ड्स के अलर्ट तैयार किए
बीते 1 साल से लोगों की जान बचाने वाली यूपी पुलिस की इस टीम की अगुवाई कर रहे एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव का कहना है कि मार्च 2022 में यूपी पुलिस ने दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम को चलाने वाली कंपनी मेटा से mou किया था. हमने सुसाइड, जान देने, अलविदा और खुदकुशी जैसे तमाम कीवर्ड्स के अलर्ट तैयार किए.
जैसे ही कोई व्यक्ति फेसबुक या इंस्टाग्राम पर इन शब्दों के इस्तेमाल के साथ कोई पोस्ट डालता है तो मेटा कंपनी की तरफ से तत्काल डीजीपी हेड क्वार्टर में बनी इस टीम को एक अलर्ट मेल आता है.
ऐसे बचाई जाती है लोगों की जान
इस अलर्ट मेल में सुसाइड की कोशिश करने वाले शख्स की लोकेशन और मोबाइल नंबर भी पहुंचता है. जिसके सहारे उस जिले के पुलिस और 112 की पीआरवी गाड़ी को मौके पर भेजकर उस व्यक्ति की जान बचाई जाती है. यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें यूपी पुलिस की टीम दिन-रात लगी रहती है, क्योंकि सुसाइड का कोई टाइम नहीं होता. लिहाजा दिन हो या रात कभी भी जब कॉल आती है तो क्विक रिस्पांस तकनीक के सहारे यूपी पुलिस जान बचाने की मुहिम में जुट जाती है.
पुलिस हेडक्वार्टर से मिले आंकड़ों के अनुसार इन 92 मामलों में 9 मामले फेसबुक और 83 मामले इंस्टाग्राम से जुड़े हैं. सुसाइड अटेम्प्ट की कोशिश करने वाले लोगों की उम्र के लिहाज से देखें तो सर्वाधिक कोशिश 18 से 25 साल की उम्र के 46 लोगों ने की है.
फर्जी पोस्ट लिखने वालों से पुलिस परेशान
इसके अलावा, जान बचाने की मुहिम में यूपी पुलिस कई बार सस्ती लोकप्रियता के लिए सुसाइड की फर्जी पोस्ट लिखने वालों से भी हैरान है. उदाहरण के तौर पर बस्ती के नौजवान ने अपनी गर्लफ्रेंड को इंप्रेस करने के लिए हरे रंग की गोली हाथ में लेकर इंस्टाग्राम पर लिखा 'आज मुझे मरने से कोई नहीं बचा सकता.' पोस्ट होते ही अलर्ट मेल सोशल मीडिया सेल तक पहुंचा.
सोशल मीडिया सेल की टीम ने बस्ती पुलिस को संपर्क किया और जब उस लड़के तक पुलिस पहुंची तो पता चला कि वह अपनी गर्लफ्रेंड को इंप्रेस करने के लिए यह पोस्ट लिखी थी.
ऐसा ही कुछ मामला आगरा के एक लड़के से जुड़ा है, जिसमें विटामिन की गोलियों को नींद की गोली बताकर एक सुसाइड पोस्ट Instagram पर डाली, ताकि उसको सस्ती लोकप्रियता हासिल हो सके.
इस संबंध में लखनऊ के एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव का कहना है कि यूपी पुलिस की इस कोशिश में दिन रात लगा रहना पड़ता है. पुलिस की इस कोशिश में अब यूनिसेफ भी शामिल होने जा रहा है. आत्महत्या की कोशिश करने वालों की काउंसलिंग के लिए UNICEF यूपी पुलिस की मदद करेगी और ऐसे लोगों की काउंसलिंग करेगी.