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'पापा जाने का दिल नहीं कर रहा...', कुवैत हादसे में जान गंवाने वाले इंजीनियर ने घर से निकलते वक्त कही थी ये बात, आखिरी शब्द याद कर फफक पड़े परिजन

वाराणसी के इंजीनियर प्रवीण सिंह की कुवैत हादसे में मौत हो गई है. वह हाल ही में 15 दिन की छुट्टी पर घर आए थे. जाते टाइम उन्होंने अपने बुजुर्ग पिता से कहा था कि उनका इस बार जाने का मन नहीं हो रहा है. अगले साल हमेशा के लिए वापस आ जाऊंगा. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था.

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कुवैत हादसे में वाराणसी के प्रवीण की मौत
कुवैत हादसे में वाराणसी के प्रवीण की मौत

कुवैत (Kuwait) के मंगाफ (Mangaf) शहर में एक रिहायशी बिल्डिंग में आग के शिकार हुए 45 भारतीयों में से एक वाराणसी के 36 वर्षीय इंजीनियर प्रवीण माधव सिंह भी थे. दो माह पहले ही वे वाराणसी के अपने शिवपुर इलाके के गायत्री धाम कॉलोनी में 15 दिन की छुट्टी पर आए थे. 15 दिनों का वक्त कब बीत गया पता नहीं चला. जब जाने की बारी आई तो प्रवीण ने बुजुर्ग पिता जयप्रकाश सिंह से कहा कि इस बार कुवैत जाने का दिल नहीं कर रहा है.  

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लेकिन मजबूरी थी कि NBTS कंपनी जिसमें वे सेल्स कोऑर्डिनेटर के पद पर 9 साल से काम कर रहे थे, 10 साल पूरे होने पर ही कंपनी सभी तरह के फंड कर्मचारी को लौटाती है. इसलिए मन को मारकर प्रवीण को कुवैत जाना पड़ा. उन्होंने अपने पिता से यह कहते हुए घर से विदाई ली थी कि वो कुवैत में इसी दिसंबर 2024 तक ही कंपनी में रहेंगे और अगस्त में वापस बनारस आ जाएंगे. लेकिन किसी को क्या पता था कि अब प्रवीण अपने घर अपने माता-पिता, पत्नी और दोनों बच्चियों के बीच दोबारा नहीं आ सकेंगे? अब परिवार उन्हीं बातों को यादकर फफक-फफक कर रो रहा है. 

दरअसल, राउलकेला से बीटेक करने के बाद प्रवीण माधव सिंह कुवैत की आयल और फैब्रिक बनाने वाली कंपनी NBTS में नौकरी करने लगे. बुधवार को कुवैत की रिहायशी बिल्डिंग में लगी आग के बाद प्रवीण की मौत की पुष्टि जब गुरूवार को हुई तो परिवार वाले बेसुध हो गए. 

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प्रवीण मूल रूप से गाजीपुर के गहमर के सेवराई तहसील के करहिया गांव के रहने वाले थे और दो साल पहले वाराणसी के शिवपुर स्थित गायत्री धाम कॉलोनी में मकान बनवाकर रह रहे थे. प्रवीण के पीछे उनका भरा-पूरा परिवार है, जिसमें पत्नी रूपा सिंह, बड़ी बेटी 8 साल की मनीषा और छोटी बेटी 10 माह की जान्हवी है. घर में मां मंजू देवी और पिता जयप्रकाश भी हैं. जयप्रकाश टाटा जमशेदपुर से रिटायर हुए हैं. 

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परिवार में प्रवीण के भाई अमन, अनुराग और एक बहन भी है. फिलहाल, प्रवीण का शव कुवैत से दिल्ली आ चुका है. अब शनिवार की सुबह शिवपुर उनके आवास पर पहुंचेगा. उनकी मौत से घरवालों का रो-रो कर बुरा हाल है. 

मृतकों के शव कुवैत से भारत पहुंचे 

बता दें कि कुवैत अग्निकांड में मारे गए 45 भारतीयों के शव लेकर भारतीय वायुसेना (IAF) का विमान केरल के कोच्चि एयरपोर्ट पर लैंड हो चुका है. कुवैत के मंगाफ शहर में बहुमंजिला इमारत में लगी भीषण आग में कुल 45 भारतीय नागरिकों की मौत हो गई थी. जान गंवाने वाले भारतीयों के शवों को देश लाने के लिए भारतीय वायुसेना का सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान रवाना हुआ था, जो कोच्चि में लैंड हो चुका है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन खुद कोच्चि इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे हैं.

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कुवैत के मीडिया के मुताबिक, आग रसोई में लगी थी, अधिकांश मौतें धुएं के कारण हुईं. 12 जून (बुधवार) की सुबह 4.30 बजे अल-अहमदी गवर्नरेट के अधिकारियों ने हादसे की सूचना दी थी. इसका मतलब आग अल सुबह लगी थी, जिस वक्त लोग नींद की आगोश में थे. निर्माण कंपनी NBTC ग्रुप ने 195 से ज्यादा श्रमिकों के रहने के लिए बिल्डिंग किराए पर ली थी, जिनमें रहने वाले अधिकांश श्रमिक केरल, तमिलनाडु और उत्तरी राज्यों के थे.

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