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विक्की के बाद जुगनू भी गिरफ्तार... कैसे 3 महीने तक वाराणसी पुलिस को चकमा देता रहा राजेंद्र गुप्ता परिवार का 'कातिल', पढ़िए INSIDE STORY

वाराणसी पुलिस के मुताबिक, विक्की के माता-पिता की भी हत्या इसी तरह गोली मार कर की गई थी. इस हत्या का आरोप किसी और पर नहीं बल्कि राजेंद्र गुप्ता पर लगा था. इसी का बदला लेने के लिए और प्रॉपर्टी पाने के लिए विक्की ने खूनी खेल खेला.  

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वाराणसी पुलिस की गिरफ्त में विक्की और जुगुनू
वाराणसी पुलिस की गिरफ्त में विक्की और जुगुनू

वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र का भदैनी इलाका तीन महीने पहले 5 हत्याओं से दहल उठा था. व्यापारी राजेंद्र गुप्ता, उनकी पत्नी नीतू और तीन बच्चों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड में पुलिस ने राजेंद्र के बड़े भतीजे विशाल गुप्ता उर्फ विक्की को नामजद किया था. घटना के बाद से ही विक्की फरार चल रहा था. कड़ी मशक्कत के बाद बीते दिन वाराणसी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उससे पूछताछ के बाद छोटे भाई प्रशांत उर्फ जुगनू को भी अरेस्ट कर लिया गया. जुगनू पर फ़रारी के दौरान विक्की की मदद करने का आरोप है.  

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हालांकि, हैरानी की बात यह है कि अभी तक पुलिस को आलाकत्ल नहीं मिल सका है. घटना के पीछे पुलिस ने पुरानी रंजिश और संपत्ति पर एकाधिकार वजह बताई है. दरअसल, विक्की के माता-पिता की भी हत्या इसी तरह गोली मार कर की गई थी. इस हत्या का आरोप किसी और पर नहीं बल्कि राजेंद्र गुप्ता पर लगा था. इसी का बदला लेने के लिए और प्रॉपर्टी पाने के लिए विक्की ने खूनी खेल खेला.  

यह भी पढ़ें: कहां है वाराणसी हत्याकांड का आरोपी विक्की? भाई जुगनू ने दिया ये जवाब; अंतिम संस्कार के बाद किया राजेंद्र गुप्ता परिवार का तेरहवीं संस्कार

बता दें कि राजेंद्र गुप्ता के परिवार को खत्म करने के बाद से ही आरोपी बड़े भतीजे विक्की का कहीं अता-पता नहीं चल रहा था. जबकि, छोटे भतीजे प्रशांत गुप्ता उर्फ जुगनू से पुलिस ने हफ्तों पूछताछ की लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. आखिर में थक हारकर उसे छोड़ दिया था. मगर अब घटना के 3 महीने बाद पुलिस ने ना केवल विक्की, बल्कि उसके छोटे भाई जुगनू को बड़े पापा और परिवार पांच सदस्यों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है.  

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कैसे इतने दिनों तक पुलिस को चकमा देता रहा विक्की?

पुलिस के अनुसार, 5 नवंबर 2024 को भेलूपुर थाना क्षेत्र के भदैनी इलाके में स्थित मकान में राजेंद्र गुप्ता की पत्नी, दो बेटे और एक बेटी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वहीं, घटनास्थल से लगभग 15 किलोमीटर दूर रोहनिया क्षेत्र में राजेंद्र गुप्ता की भी उनके निर्माणाधीन मकान में लाश मिली थी. राजेंद्र की भी गोली मारकर हत्या की गई थी. इस मामले में पुलिस ने मुख्य अभियुक्त विशाल उर्फ विक्की को बनाया था, लेकिन लगातार विक्की पुलिस की पकड़ से बाहर रहा. इधर उसपर इनाम की रकम बढ़ाकर एक लाख कर दी गई.

सीसीटीवी में कैद हुआ विक्की

 

विक्की के पकड़े जाने के बाद 'आजतक' से बातचीत में वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बताया कि घटना के बाद मिले सीसीटीवी फुटेज से ही स्पष्ट हो गया था की वारदात को किसी और ने नहीं, बल्कि मृतक के भतीजे विशाल गुप्ता उर्फ विक्की ने अंजाम दिया है. लेकिन वह पिछले तीन महीने से पुलिस की कड़ी मेहनत के बावजूद भी गिरफ्तार नहीं हो पा रहा था. कई राज्यों में टीम भेजी गई थी. एसओजी, क्राइम ब्रांच और काशी जोन की टीम लगातार उसे पकड़ने के लिए प्रयास कर रही थी. 

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दोनों भाई ऐसे संपर्क में थे 

कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने आगे चौंका देने वाली जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विक्की ने अपने अपराध को लेकर तमाम एक्सपर्ट से भी ओपिनियन लिया था कि उसे कितनी सजा हो सकती है, होगी या नहीं. कमिश्नर ने आगे बताया कि विक्की के खिलाफ उनके पास पर्याप्त सबूत हैं और उसे सजा जरूर मिलेगी.

विक्की की फाइल फोटो

उन्होंने बताया कि दोनों भाई आईटी कंपनी में नौकरी कर रहे थे, इसलिए इनको इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी के अलावा सर्विलांस की भी पूरी जानकारी है. साथ में यह भी पता था कि पुलिस इनको किस तरह से ट्रेस कर सकती है. इसलिए इन लोगों ने उन माध्यमों का प्रयोग नहीं किया- जैसे मोबाइल फोन आदि. इसीलिए यह 3 महीने तक पुलिस की गिरफ्त से दूर रहे. उन्होंने आगे बताया कि दोनों भाइयों में फर्जी ईमेल आईडी के जरिए वार्तालाप होती थी. दोनों हत्याकांड के पहले और बाद में भी आपस में संपर्क में थे.  

इसलिए मचाया था कत्लेआम 

गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में पता चला कि वर्ष 1997 में विक्की के माता-पिता और दादा की हत्या मृतक यानी राजेंद्र गुप्ता द्वारा की गई थी और राजेंद्र ने सारी प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया था. तभी से राजेंद्र अपने दोनों भतीजे विक्की और जुगनू को अपने साथ रखते हुए प्रताड़ित भी करता था. इसी का बदला लेने के लिए विक्की दो साल से तैयारी कर रहा था. 

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इसी कड़ी में उसने फर्जी एड्रेस पर सिम लिए, फेक आईडी बनाई और हथियार भी खरीदा. हत्याकांड को अंजाम देने के बाद विक्की बनारस छोड़कर अलग-अलग शहरों- मुंबई, कोलकाता, पटना में भागता फिर रहा था. उसकी वित्तीय और तकनीकी सहायता छोटा भाई प्रशांत उर्फ जुगनू किया करता था. इसी वजह से विक्की के साथ उसके भाई को भी गिरफ्तार किया गया है.  

फिलहाल, इन दोनों को रिमांड पर लेकर मर्डर वेपन को तलाशा जाएगा. विक्की और उसके भाई जुगनू के अलावा इस पूरे हत्याकांड में किसी बाहरी मददगार के सवाल के जवाब में पुलिस कमिश्नर ने बताया कि अभी तक ऐसी कोई भी जानकारी निकलकर नहीं आई है. उन्होंने इस बात से भी इनकार नहीं किया कि पुरानी रंजिश के अलावा पूरी संपत्ति पर कब्जा करना भी विक्की और उसके भाई का लक्ष्य रहा होगा. क्योंकि, राजेंद्र गुप्ता ने भी 25 वर्ष पहले ऐसा ही किया था. 

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