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ओमान का हाई कमिश्नर बनकर उठा रहा था VIP और सरकारी सेवाओं का लाभ, गाजियाबाद से गिरफ्तार

गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि ओमान का हाई कमिश्नर बन कर की वीआईपी सुविधाएं और सरकारी सेवाओं लाभ उठा रहे कृष्ण शेखर राणा को गिरफ्तार किया है. उसके पास से विदेशी राजनयिक होने का फर्जी आईडी कार्ड, फर्जी राजनयिक डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट वाली मर्सिडीज कार और अन्य फर्जी आपत्तिजनक डॉक्यूमेंट बरामद हुए हैं, जिन्हें जब्त कर लिया गया है. 

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पुलिस की गिरफ्त में आरोपी.
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी.

गाजियाबाद पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करते हुए एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है जो ओमान का हाई कमिश्नर बन कर वीआईपी सुविधाएं और सरकारी सेवाओं लाभ उठा रहा था. पुलिस ने बताया कि आरोपी की पहचान कृष्ण शेखर राणा के रूप में की है.

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पुलिस ने बताया कि ओमान का हाई कमिश्नर बन कर की वीआईपी सुविधाएं और सरकारी सेवाओं लाभ उठा रहे कृष्ण शेखर राणा को गिरफ्तार किया है. उसके पास से विदेशी राजनयिक होने का फर्जी आईडी कार्ड, फर्जी राजनयिक डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट वाली मर्सिडीज कार और अन्य फर्जी आपत्तिजनक डॉक्यूमेंट बरामद हुए हैं, जिन्हें जब्त कर लिया गया है. 

डीसीपी ट्रांस हिंडन, निमिष पाटिल ने बताया, 'कृष्ण शेखर राणा कई शहरों में फर्जी हाई कमिश्नर बनकर वीआईपी प्रोटोकॉल का लाभ उठा चुका था. उसने अपनी कार पर डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट और ओमान का झंडा लगा रखा था, ताकि अधिकारियों को गुमराह किया जा सके.' 

पुलिस के अनुसार आरोपी डॉ कृष्ण शेखर राणा IGTC (INDIA GCC TRADE COUNCIL) नामक एक एनजीओ से जुड़ा था, जहां उसे ट्रेड कमिश्नर का पद दिया गया था. लेकिन राजनयिक प्रोटोकॉल पाने के चक्कर में आरोपी कृष्ण शेखर राणा, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के साथ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करने लगा. आरोपी यूपी के मथुरा और हरियाणा के फरीदाबाद में फर्जीवाड़ा कर पुलिस प्रोटोकॉल और सरकारी सुविधाएं ले चुका है.

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'आरोपी ने कबूला गुनाह'

पुलिस के अनुसार, आरोपी को गाजियाबाद के कौशांबी इलाके से गिरफ्तार किया गया है. फिलहाल आरोपी दिल्ली लाजपत नगर में रह रहा था. पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह ओमान से व्यापार बढ़ाने के लिए कार्यरत एक एनजीओ से जुड़े हैं, जिसके नाम पर खुद को हाई कमिश्नर बताकर धोखाधड़ी कर रहा था.

कई उच्च पदों पर रहा है आरोपी: पुलिस

पुलिस ने ये भी बताया कि गिरफ्तार आरोपी उच्च शिक्षा हासिल की है और वह कई उच्च पद पर काम कर चुका है. आरोपी 1982 से 2015 तक आगरा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहा है और कई विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर भी रह चुका हैं. आरोपी का आगरा में खुद का कालेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलोजी नाम का कालेज है. 

 पुलिस का कहना है कि अब पुलिस आरोपी के आपराधिक इतिहास की जांच कर रही है और इस फर्जीवाड़े में अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच कर रही है.

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