संगम नगरी प्रयागराज में लगे महाकुंभ (MahaKumbh) मेले का समापन हो चुका है. संगम की रेती पर बसी टेंट सिटी लगभग उखड़ चुकी है. अन्य सामान भी हटाया जा रहा है. ऐसे में कुंभ मेले में इस्तेमाल हुए पांटून पुलों (Pontoon Bridges) का क्या होगा इसको लेकर लोगों के मन में सवाल है. पांटून पुलों में प्रयोग बड़े-बड़े पीपों का क्या होगा आइए जानते हैं...
जानकारी के मुताबिक, पांटून पुलों को यूपी के विभिन्न जिलों में लोगों की सुविधा के लिए भेजे जाएंगे. गोरखपुर, मेरठ, बरेली, देवरिया समेत अन्य जिलों में पांटून पुलों के पीपों का इस्तेमाल किया जाएगा. इन पुलों को बनाने में लगभग 140 करोड़ रुपये की लागत आई है. एक पांटून का वजन लगभग 5.35 टन है, जो पानी में तैरता है, उसके ऊपर रखे लोहे के चादर पर लोग चलते हैं.
बता दें कि महाकुंभ के भव्य आयोजन में पीपा पुलों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही. विराट आयोजन में संगम क्षेत्र और अखाड़ा क्षेत्र के बीच पीपे के पुल ने अद्भुत सेतु यानि ब्रिज का काम किया. देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की राह इन्हीं पीपा से तैयार पुलों ने आसान बनाई थी. अब चूंकि, महाकुंभ संपन्न हो गया है, ऐसे में इन पीपा पुलों को जनप्रतिनिधियों की मांग पर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भेजा जाएगा.
बताया गया कि महाकुंभ के लिए लोक निर्माण विभाग विद्युत यांत्रिक की ओर से 2313 पीपा का निर्माण किया गया. पीपा, रेलिंग और गार्डर सहित अन्य निर्माण में लगभग 140 करोड़ रुपये खर्च हुए. महाकुंभ में कुल 31 पीपा पुल बनाए गए थे.
लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ने बताया कि पीपा दूसरे जिलों में भेजने के पहले उच्च अधिकारियों की जिलास्तरीय बैठक होगी, उसके बाद प्रस्ताव शासन में भेजा जाएगा, वहां से अनुमति मिलने के बाद अलग-अलग जिलों में पीपा भेजने की प्रक्रिया शुरू होगी.