मैनपुरी में बड़ी जीत के बाद शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के साथ आने का फायदा जितना समाजवादी पार्टी को मिल रहा है, क्या उसका असर बीजेपी की तैयारी पर भी पड़ेगा? ये एक बड़ा सवाल है. मैनपुरी की जीत के बाद दोनों ही एक लंबी पारी का ऐलान कर चुके हैं और प्रसपा का पार्टी में विलय हो चुका है. इस विलय के बाद पार्टी के कार्यकर्ता उत्साहित हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि यादवलैंड में पार्टी की वापसी होगी तो वहीं राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि शिवपाल का राजनीतिक भविष्य क्या होगा जो लंबे समय से उपेक्षा का शिकार रहे.
शिवपाल यादव जसवंत नगर से विधायक हैं और उनकी पार्टी का कोई भी सक्रिय सदस्य फिलहाल समाजवादी पार्टी में किसी पद पर नहीं है. शिवपाल यादव की वापसी समाजवादी पार्टी को यादव लाइन में बड़ा फायदा पहुंचा सकती है, जहां यादव वोटों का बड़ा प्रभाव है और पुराने नेता अभी भी मुलायम सिंह यादव के दौर से जुड़े रहे हैं. जो हालांकि समाजवादी पार्टी में अपने आप को उपेक्षित महसूस करते थे. शिवपाल यादव ऐसे कार्यकर्ताओं को साधने का तो काम करेंगे बल्कि कन्नौज समेत आसपास की एक दर्जन जिलों में पार्टी में जान फूंकने की कोशिश करेंगे.
सपा ने रामपुर में हार का ठीकरा प्रशासन पर फोड़ा
वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने रामपुर उपचुनाव में हार का ठीकरा बीजेपी के प्रशासनिक दुरुपयोग पर फोड़ा है. अखिलेश यादव ने सीधे तौर पर बीजेपी पर रामपुर चुनाव में सपा को हराने का आरोप लगाया और दोबारा चुनाव कराने की मांग चुनाव आयोग से की है. सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि बीजेपी ने जिस तरह से तीन उपचुनाव में सत्ता शासन का दुरुपयोग किया, वह किसी से छुपा नहीं है. फिर भी हम मैनपुरी और खतौली जीते हैं. पर रामपुर में लाठी के दम पर वोटर को वोट नहीं डालने दिया गया. सपा आने वाले समय में शिवपाल यादव के साथ नई ऊर्जा से इन चुनौतियों का सामना करेगी.
बीजेपी ने किया पलटवार
वहीं सपा के आरोप पर बीजेपी का पलटवार करते हुए इसे अखिलेश यादव की राजनीतिक का अपरिपक्वता करार दिया है. बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि अखिलेश यादव का रामपुर पर आरोप बिल्कुल बेबुनियाद है. अगर मैनपुरी और खतौली जीत गए तो प्रशासन और ईवीएम ठीक, लेकिन रामपुर में प्रशासन ने हरवा दिया, यह कहना अखिलेश यादव की राजनीतिक अपरिपक्वता को दिखाता है. संवेदना का वोट बार-बार नहीं मिलता. 2024 में बीजेपी मैनपुरी को भी रामपुर की तरह फतेह करेगी.
शिवपाल पर क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ
शिवपाल यादव की वापसी और चुनाव में इसके प्रभाव पर राजनीतिक विशेषज्ञ रतनमणि लाल कहते हैं कि शिवपाल का आना पार्टी को यादवलैंड में फायदा तो पहुंचाएगा ही, साथ ही जो लोग पार्टी से पुराने समय से जुड़े रहे और एक एग्रेसिव नेता के तौर पर नेताजी को देखते थे, उसकी कमी शिवपाल पूरी कर सकते हैं. लेकिन शिवपाल के राजनीतिक भविष्य के लिहाज से देखें तो तीन-चार साल पार्टी बनाने के बाद भी फिलहाल चाचा शिवपाल के पास समाजवादी पार्टी में वापस आने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. क्योंकि अपने अलग होने का कोई राजनीतिक फायदा उन्हें नहीं मिल सका है.