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नवरात्रि में धार्मिक आयोजन के लिए हर जिले को दिया गया था बजट, योगी सरकार के फैसले के खिलाफ PIL खारिज

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने योगी सरकार के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. दरअसल यूपी सरकार ने नवरात्रि और रामनवमी के अवसर पर हर जिले में धार्मिक आयोजन के लिए एक लाख रुपये का बजट दिया था, इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

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सीएम योगी (फाइल फोटो)
सीएम योगी (फाइल फोटो)

यूपी सरकार ने स्थानीय प्रशासन से नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि और रामनवमी के दौरान मंदिरों में दुर्गा सप्तशती और अखंड रामायण पाठ समेत कई विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने को कहा था. इसके लिए हर जिले में एक लाख रुपये आवंटित भी किए गए थे. राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने खारिज कर दिया है. 

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मंदिरों में आयोजित कार्यक्रमों में कलाकारों को मानदेय देने के योगी सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि यह किसी भी धर्म या धार्मिक संप्रदाय के प्रचार में राज्य की लिप्तता नहीं है. अदालत ने कहा वास्तव में यह राज्य की एक साधारण धर्मनिरपेक्ष गतिविधि है, जबकि यह राज्य द्वारा किए गए विकास कार्यों को प्रचारित करने में शामिल है. 

जस्टिस डी के उपाध्याय और ओपी शुक्ला की बेंच ने मोतीलाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य सरकार के 10 मार्च, 2023 के फैसले को चुनौती दी गई थी. सरकार ने रामनवमी के अवसर पर प्रत्येक जिले को 1 लाख रुपये आवंटित किए थे. अदालत का आदेश 22 मार्च को पारित किया गया था, लेकिन मंगलवार को ही अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया गया. 

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अपने आदेश में पीठ ने यह भी कहा, "यदि राज्य नागरिकों से एकत्र किए गए टैक्स में से कुछ पैसा खर्च करता है और कुछ राशि किसी धार्मिक संप्रदाय को कुछ सुविधाएं या सुविधाएं प्रदान करने के लिए विनियोजित करता है, तो यह संविधान के अनुच्छेद 27 का उल्लंघन नहीं होगा." 

धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक गतिविधि के बीच स्पष्ट रेखा: HC

अदालत ने ये भी कहा कि हमें हमेशा ध्यान रखना होगा कि यह एक धर्मनिरपेक्ष गतिविधि और धार्मिक गतिविधि के बीच अंतर की एक स्पष्ट रेखा मौजूद है जो राज्य द्वारा की जा सकती है, जैसे धर्म या धार्मिक संप्रदाय के रखरखाव और प्रचार में राज्य की सुविधा और सुविधाएं प्रदान करना. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के आदेश को गलत समझा. सरकार के आदेश में किसी भी व्यक्ति को किसी भी राशि के भुगतान का कोई प्रावधान नहीं है. बल्कि राशि का भुगतान उन कलाकारों या कारीगरों को किया जाना है जो ऐसे अवसरों पर प्रदर्शन कर रहे होंगे. 

आयोजन में क्या-क्या था शामिल? 

यूपी सरकार के आदेश में कहा गया था कि अष्टमी और रामनवमी (29 और 30 मार्च) को प्रमुख मंदिरों और ‘शक्तिपीठों’ में अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया जाए ताकि मानवीय, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों का प्रसार किया जा सके. इसके लिए प्रत्येक ब्लॉक, तहसील और जिले में एक आयोजन समिति गठित की जाए. 

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प्रत्येक जिले में डीएम की अध्यक्षता वाली एक समिति उन कलाकारों का चयन करेगी जो कार्यक्रमों में प्रदर्शन करेंगे. आदेश के मुताबिक, जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए और बड़ी जन भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए. आदेश में कहा गया कि संस्कृति विभाग इन कार्यक्रमों में प्रदर्शन के लिए चुने गए कलाकारों को मानदेय के रूप में भुगतान करने के लिए प्रत्येक जिले को एक लाख रुपये उपलब्ध कराएगा. 

 

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