उत्तर प्रदेश के आगरा में रहने वाले एक युवक को 51 लाख रुपए का बीमा क्लेम मिला है. छह साल पहले ट्रेन दुर्घटना में उसके दोनों पैर चले गए थे. जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बीमा कंपनी द्वारा क्लेम खारिज किए जाने को गलत करार देते हुए यह फैसला सुनाया. साथ ही बीमा राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का निर्देश दिया है.
जानकारी के मुताबिक, अगरा के रहने वाले प्रांजल गुप्ता 27 दिसंबर 2019 को कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन से हाथरस जंक्शन के पास गिर गए. इस हादसे में उनके दोनों पैरों में गंभीर चोट आई. इलाज के दौरान सेप्सिस (रक्त संक्रमण) फैलने के कारण डॉक्टरों को घुटनों के नीचे से दोनों पैर काटने पड़े. हादसे के समय प्रांजल गुप्ता के पास 'नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस' (पूर्व में मैक्स बूपा) की सक्रिय पॉलिसी थी.
बीमा कंपनी ने दावे को क्यों किया खारिज?
यह पॉलिसी 29 मार्च 2019 को खरीदी गई थी और 28 मार्च 2020 तक वैध थी. दुर्घटना के बाद जब उन्होंने बीमा क्लेम के लिए आवेदन किया, तो बीमा कंपनी ने इसे विभिन्न आधारों पर खारिज कर दिया.
उपभोक्ता आयोग का फैसला
प्रांजल गुप्ता के वकील कैम सिंह के अनुसार, जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हाल ही में इस मामले पर सुनवाई की. आयोग के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह ने नीवा बूपा इंश्योरेंस को 51 लाख रुपये का भुगतान करने और इस राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का आदेश दिया. आखिरकार छह साल की कानूनी लड़ाई के बाद प्रांजल गुप्ता को न्याय मिला.