महाकुंभ 2025 ने भारत में एक नई वैचारिक क्रांति की शुरुआत की है. 66 करोड़ हिंदुओं की सक्रिय भागीदारी ने सनातन धर्म में नई जागरूकता के संकेत दिए हैं. इस आयोजन ने धर्मनिरपेक्षता की एक नई परिभाषा गढ़ी, जिससे हिंदुओं को अपनी परंपराओं एवं सांस्कृतिक गर्व का अनुभव हुआ.